मैसूर का वडियार राजवंश बीती चार सदियों से एक श्राप से जूझ रहा है, ऐसा मानने वालों के पास अपने कारण हो सकते हैं और न मानने वालों के पास अपने. खुद वडियार राजघराना मानता है कि एक श्राप 400 साल से उसका पीछा कर रहा है. उसके पास ऐसा मानने की वजहें हैं.
बीती 27 मई को यदुवीर कृष्णदत्त वडियार राजघराने के 27वें राजा बने. यदुवीर ने श्रीकांतदत्त नरसिंहराज वडियार की जगह ली. श्रीकांतदत्त के कोई संतान नहीं थी. दिसंबर 2013 में उनकी मौत के बाद से ही उत्तराधिकारी को लेकर बहस चल रही थी जो 23 साल के यदुवीर की ताजपोशी के साथ खत्म हुई. श्रीकांतदत्त की पत्नी प्रमोदा देवी वडियार ने हाल ही में यदुवीर को गोद लिया था.
कहते हैं कि आभूषण जबरन लेने के लिए राजा ने अपने सैनिक भेजे तो अमामेलम्मा ने कावेरी में छलांग लगा दी. इससे पहले उसने श्राप दिया कि मैसूर राजवंश संतानविहीन हो जाए.
यह पहली बार नहीं हुआ था कि वडियार राजपरिवार ने कोई उत्तराधिकारी गोद लिया हो. दरअसल बीती चार सदियों के दौरान मैसूर के इस राजघराने को उत्तराधिकारी अक्सर गोद लेना पड़ा है. यही वजह है कि कई लोग वडियार राजवंश पर लगे एक श्राप पर यकीन करते हैं.
श्राप की कहानी ।
कहते हैं कि 1612 में मैसूर के राजा वडियार ने पड़ोसी राज्य श्रीरंगपट्टनम पर हमला किया और वहां के शासक तिरुमालाराजा को हरा दिया. पराजित राजा अपनी पत्नी अलामेलम्मा के साथ तलक्कड़ नामक जगह पर जाकर रहने लगा. कुछ समय बाद उसकी मृत्यु हो गई. अलामेलम्मा ने अपने आभूषणों का खजाना श्रीरंगपट्टनम राजपरिवार की कुलदेवी श्रीरंगनायकी को दान कर दिया. एक विशेष दिन श्रीरंगनायकी का श्रंगार होता और फिर ये आभूषण अलामेलम्मा के संरक्षण में आ जाते. मंदिर प्रशासन ने राजा से गुहार लगाई कि ये आभूषण उसके पास होने चाहिए. अलामेलम्मा इसके लिए तैयार नहीं थी. राजा ने अपने सैनिक भेजे. अमामेलम्मा ने कावेरी में छलांग लगा दी. लेकिन इससे पहले उसने श्राप दिया कि मैसूर राजवंश संतानविहीन हो जाए.
कहते हैं कि राजा को जब इसकी खबर मिली तो वह बड़ा चिंतित हुआ. फिर किसी ने उसे सलाह दी कि श्राप से मुक्ति पाने के लिए वह अलामेलम्मा की मूर्ति राजमहल में प्रतिष्ठित करवाए.
सोर्सेस्। .. satyagrah
Ravi Chaudhary
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