Tuesday, 31 May 2016

एक रात का साथ ।

लाजपत नगर मेट्रों स्टेशन का भुत ।
मै रवि, उन दिनों लाजपत नगर में काम करता था । collage का खर्चा और दूसरी जरुरतो के लिए में दिन में पढ़ाई और रात को काम किया करता था । मै एक maggie का प्रमोटर था और रात को 11 बजे तक काम करता था । पर उस दिन मुझे देर हो गई और सब काम खत्म करते -2 ..... 12 बजे से ज्यादा time हो गया .. जब मै office से बाहर निकला तो आस पास कोई नही था ।सारी दुकाने बन्द थी और लोग गायब थे । कुतो के अलावा कोई भी नजर नही आ रहा रहा था। मुझे डर लग रहा था और घर जाने की जल्दी भी थी पर इस वक्त न मेट्रो खुली थी न कोई और गाडी । उस दिन दूर दूर तक कोई नजर नही आ रहा था । मै किसी तरह जल्दी 2 चल रहा था और डरा हुआ था पता नही कौन आ जाए और कुछ अनहोनी हो जाए पर जल्द ही मै मेट्रो लाजपत नगर के पुल के पास पहुच गया । कुछ गाड़िया आ जा रही थी पर रास्ते पर कोई भी इन्शान नजर नही आ रहा था । मै तो बस ये सोच रहा था की आज bus मिलेगी या नही या घर पैदल जाना होगा । यही सोचते-2 मै जा रहा था की पीछे से मुझे एक आवाज आई ।
सुनो रुको ..... मै बुरी तरह डर गया और मेरे पाव वही जम से गए । न जाने कौन थी और मुझे क्यों आवाज लगा रही थी । जी हाँ वो एक लड़की की आवाज थी ।
सब कहते है की रात के वक्त कोई पीछे से आवाज दे तो कभी मुड़ के नही देखना चाहिए ।
पर मैने जल्दबाजी में पीछे मुड कर देख लिया । अब बहुत देर हो चुकी थी मैने गलती कर दी थी और अगर वो भूत था तो मेरी खेर नही थी ।
पीछे मुड़ते ही पहली दफा मेरी नजरें उसकी नजरो से टकरा गई । मैने आज तक इतनी खूब सूरत लड़की पहले कभी नही देखि थी। उसके होठ उसकी गर्दन उसके बाल । वो किसी परी से कम नही थी ।
मै उसे देखता ही रह गया और पता भी नही चला की वो कब मेरे पास आकर खड़ी हो गई ।
उसने पूछा क्या देख रहे हो । ये सुनते ही मै एक समय के लिए घबरा गया और हड़बड़ी में बोला कुछ नही । उसने कहा की मै किसी का इन्तजार कर रही हु और क्या तुम्हारे पास लाइटर है मुझे अपनी सिगरेट जलानी है । पहले तो मुझे कुछ अजीब सा लगा पर मैने अपना बैग खोला और उसमे से माचिस दे दी । ( आप को बता दू मै सिगरेट नही पीता ये माचिस सिर्फ जरूरत के वक्त के लिए मै हमेशा अपने पास रखता हु। ) मैने उसकी तरफ देखा और उसने अपनी सिगरेट जला ली और एक लम्बी कस ली और मुझे देखने लगी।
मै मन ही मन सोच रहा था की इतनी खूबसूरत लड़की आखिर इतनी रात को यहाँ क्या कर रही है । इतने में मैने उससे पूछा की क्या तुम यहाँ किसी का इन्तजार कर रही हो । और अगर तुम्हे डर लग रहा हो तो मै यहाँ तुम्हारे साथ रुक सकता हु अगर तुम चाहो ।
उसने मेरी तरफ बिल्ली नजरो से देखा और कहा ठीक है । मै वही पास में बैठ गया एक तरफ मुझे घर जाने की जल्दी थी और वही दूसरी ओर इतनी मासूम लड़की को मै कैसे अकेले छोड़ देता ।
मैने उससे पुछा कौन आने वाला है तुम्हे लेने ।
कुछ देर रुक कर उसने कहा पापा आ रहे है ।
एक लम्बी खामोशी के बाद मै और वो एक दूसरे को देखने लगे ।
उसने पूछा तुम क्या करते हो । मैने अपनी सारी राम कहानी उसे बता दी । जिससे फिर कुछ देर की खामोशी छा गई । जब मैने उससे पूछा की तुम क्या करती हो। तो उसने मेरी तरफ देखा और कहा की मै कुछ नही करती । ये सुन कर मुझे लगा की जरूर झूठ बोल रही होगी ।
मैने कहा की तुम पढ़ती नही तो वो हँसने ली और कहा की कभी पड़ती थी पर अब नही पढती ।
उसे हँसते देख मुझे भी हँसी आ गई । और फिर हम दोनों बिना वजह smile करने लगे । हमारी बाते युही चलती रही और वक्त निकलता रहा कब हम दोनों दोस्त बन गए पता नही चला ।। मुझे तो यही लगा ।
जल्द ही सुबह होने वाली थी और उसके पापा का कोई ठिकाना नही था । मैने उससे पूछा .... तुम्हारे पाप तो अभी तक नही आए । इन्तजार करते करते सुबह हो गई ।
वो मुझे बस देखती रही और कुछ नही कहा । तभी मेरी नजर आसमान पर गई । और मेने देखा की सूरज निकल रहा था । आज का सूरज बहुत ही चमकीला था । मैने पीछे मुड़ते हुए कहा देखो सूरज कितना खूबसूरत लग रहा है ।
पीछे मुड़ते ही मै जैसे सब कुछ हार चूका था । वो गायब हो गई थी । वहाँ कोई लड़की नही थी । और आस पास बस खामोशी बिखरी थी । मेरे पैरो तले जैसे जमीन खिसक गई हो । जिस लड़की के साथ मैने पूरी रात एक मेट्रो के पुल के निचे गुजारी वो बिना मुझे कुछ कहे कहा चली गई । मैने जितना हो सके उसे आस पास ढूढ़ा पर उसका कोई निशान नही मिला । मै हार चूका था ।
जल्द ही लोगो का आना जाना शुरू हो गया । और अब मै भी घर की ओर चल दिया ।
अगले दिन मै जान बुझ कर office से देर से निकला । इस उमीद में की क्या पता वो नजर आ जाए पर ऐसा नही हुआ ।
कुछ दिन तक मै ऐसा ही करता रहा पर वो मुझे नही मिली । 2 महीने बाद वो job मैने छोड़ दिया । और फिर से collage की पढ़ाई में लग गया ।
पर वो लड़की हमेशा के लिए मेरे दिल में रह गई ।
   आखरी ख़ुशी (एक साया)

delhi मेट्रो और ख़ुफ़िया राज ।


दोस्तों मै रवि चौधरी काम से थका हार घर लौट रहा था करीब 10:40 हो रहे थे और मै मेट्रो मे बैठा लोगो के घरो में जलती लाईटो को देख रहा था जो की मेरी थकी आखो को शुकुन दे रहा था । मै जल्दी से जल्दी घर जाना चाहता था। ऊपर से भूख भी लगी थी और नींद भी आ रही थी । मुझे मेट्रो भी बदलनी थी । ताकि मै अपने घर के रुट वाली मेट्रो पर चढ़ सकु पर अभी काफ़ी वक्त था मेट्रो change करने में तो मै गाने सुनने लगा ।
आज मेट्रो में कुछ गिने चुने लोग ही थे । और लगभग मेट्रो खाली ही थी । अचानक मेरी आँखे भारी होने लगी और न जाने कब मुझे नींद आ गई और मै सो गया ।
किसी छोटे बच्चे की तरह जब मेरी आँख खुली तो मै चौक गया और तेजी से चारो ओर देखने लगा पर मुझे कुछ नजर नही आ रहा था । मेट्रो में काफी अँधेरा था और लाइटे भी नही जल रही थी । मैने फौरन अपनी पैंट में हाथ डाला और अपना मोबाइल फ़ोन बाहर निकाला और उसकी लाइट जला कर चारो ओर देखने लगा ।
आप लोगो को जान कर हैरानी होगी की उस वक्त मेट्रो में कोई नही था पूरा मेट्रो खाली था और तेजी से पटरियों पर दौड़ रहा था ।
जल्दी से मैने अपने फोन में टाइम देखा और देखते ही मेरी टाँगे लड़खड़ाने लगी । करीब 1 बजकर 13 मिनट हो रहे थे । मुझे कुछ समझ नही आ रहा था की मे क्या करुँ । मेट्रो अपनी तेजी से दौड़ती चली जा रही थी पर हैरान करने वाली बात तो ये थी की अभी तक मुझे खिड़कियों से कुछ नजर नही आ रहा था । ऐसा लग रहा था की मै underground में हु।
मै अब इन सब से बाहर निकलना चाहता था इसलिए मैने कुछ कड़े कदम उठाने की सोची । और मै जोर जोर से चिल्लाने लगा ताकि driver मेरी आवाज सुन ले पर सब बेकार इतने सोर में कुछ सुनाई नही दे रहा था । तभी मेरी नजर आपातकालीन बटन पर पड़ी और मै तेजी से उस की ओर बढ़ा । मैने हिम्मत बटोरी और जैसे ही में बटन दबाने वाला था अचानक ट्रेन रुक गई और थोड़ी ही देर में एक अजीब सी खामोशी छा गई।
मै दरवाजे के पास इस उमीद से खड़ा हो गया की दरवाजा खुल जाए और ऐसा ही हुआ । मैने फौरन छलांग लगा दी और मेट्रो से भार निकल आया । अपने फोन की लाइट से मैने चारो ओर देखा तो मैने खुद को किसी सुरंग में पाया । मै हैरान था की मेट्रो सुरंग के बीच में क्या कर रही है ।चारो और कोहरा था और खुद की परछाई भी नही देखि जा सकती थी ।
मै काफी डरा हुआ था और जल्द से जल्द यहां से बाहर निकलना चाहता था । तभी अचानक एक तेज रौशनी को मैने खुद की ओर आते देखा वो कुछ और नही एक दूसरी मेट्रो थी जो मेरी ओर ही आ रही थी ।मुझे लगा की मै अब नही बचूंगा तभी मैने तेजी से फैसला किया और जिस मेट्रो से मै उतरा था फिर उसी मेट्रो में मै तेजी से कूद कर चढ़ गया । तभी अचानक फिर से सारे दरवाजे बन्द हो गए और मेट्रो फिर से चल पड़ी ।
इस बार मुझे लगा की शायद अब हम किसी स्टेशन पर पहुचे । काफी देर से मेट्रो चल रही थी और मै अकेला बैठा सोच रहा था की कब मै इन सब से बाहर निकलूंगा । तभी मेट्रो slow हो गई । मै तेजी से दरवाजे की ओर भागा कोई स्टेशन नजर आ रहा था पर ये आम स्टेशनों से थोडा अलग नजर आ रहा था । गाडी रुक गई और सारे दरवाजे खुल गए । मैने धीरे से कदमो को उतारा और चारो ओर देखने लगा मुझे सामने एक exit डोर नजर आया । मै तेजी से दरवाजे की ओर हो लिया ।
पूरा स्टेशन किसी उजाड़ खाने सा लग रहा था । लगभग हर चीज पुरानी थी और टूटी हुई । मैने दरवाजे को खोला तो कुछ सीडिया नजर आई और मै निचे की ओर उतरने लगा । सब कुछ बहुत पुराना था । छत पर एक टुटा पंखा ,एक पुरानी टूटी हुई खिड़की और जलता बुझता बल्ब । इन सब का कॉम्बिनेशन मौहौल को भूतिया बना रहा था ।
पर मुझे जल्दी से जल्दी यहाँ से निकलना था तभी मुझे आखिर कार एक दरवाजा नजर आया और मैने तेजी से उसे खोला ।
एक सुनहरी चमक ने मुझे हिला दिया ।। सोना (Gold) पूरा कमरा सोने की ईटो से भरा बड़ा था । और तो और न जाने कितनी सोने की मुर्तिया वहाँ रखी पड़ी थी वो कमरा किसी मैदान जितना बड़ा था। और मेरी आँखे इतनी बुरी तरह चमक रही थी की मैने अपने पीछे से आते खतरे को भी नही भाप पाया और किसी ने मेरा गला पकड़ लिया और मेरे नाक पर कोई गन्दी सी चीज रख दी ।

मेरा सर दर्द से फटा जा रहा था और मेरी आखे भी लाल पड़ गई थी । मैने धीरे धीरे अपनी आँखे खोली और एक तेज रौशनी नजर आई । पहले तो सब धुन्दला था पर धीरे धीरे मुझे नजर आने लगा ।
मै नेहरू प्लेस की एक bench पर सो रहा था । सुबह हो चुकी थी और सर दर्द से फट रहा था । मैने पास के नलके से थोडा पानी पिया और bench पर बैठ गया ।
क्या वो सब मेरा भर्म था । अगर हा तो में नेहरू प्लेस कैसे आया । किसने मुझे यहाँ रख दिया । क्या वो सब सच था । क्या वाकई वो स्टेसन वहाँ था । और अगर था तो क्या वो सोना भी असली था
मेरे मन में कई सवाल थे पर कोई जबाब नही ।
क्या सच में delhi मेट्रो के निचे खजाना था ।

Monday, 30 May 2016

हमारी अधूरी कहानी ।

कहते है की पहली नजर ही काफी होती है दिलो के मिलने के लिए ,
लिफ्ट काफी छोटी थी पर उससे जादा मेरा दिल घबराय हुआ था । मेरे पास एक चाभी थी जो मुझे लौटानी थी पर न उस चाभी से मेरा रिश्ता था न ही उस घर से जहां में जा रहा था। फिर भी कुछ ऐसा था जो मुझे उस ओर खीच रहा था ।
आखिर कार लिफ्ट 3rd फ्लोर पर आ कर रुक गई । और मेरे दिलो की धड़कन तेज हो गई । दरवाजा सामने था । और मेरे कदम थे की उठने का नाम नही ले रहे थे । मुझे डर लग रहा था की पता नही कौन होगा उस पार , उस दरवाजे के पीछे ।
मैने हिम्मत कर के आखिर कार घर की रिंग बजा दी । कुछ देर लगी पर आखिर कार दरबाजा खुल ही गया ।
एक ठण्डी हवा का झोके ने मेरी आँखे बन्द सी कर दी पर जब वो खुली तो लगा जैसे मै कोई सपना देख रहा हूँ । उसने अपनी आखो में काजल लगा रखा था ,रेशमी बालो को ऊपर कर उसने मेरा ध्यान खीचा। और उसके कपड़ो से आ रही उसकी खुसबू ने एक अजीब सा रूहानी माहौल बना दिया ।
जाली दार दरवाजे के पीछे से उसका छुपा हुआ चहेरा दिल की खिचड़ी बना रहा था। और फिर वो हुआ जो मै सुनना चाहता था ,उसकी मीठी सी आवाज । उसने मुझसे पूछा आप कौन ।। पहले तो मेरी घिगी सी बन गई पर जल्द ही मुझे एहसास हुआ की वो मुझे ही देख रही है । मै काफी डर गया था और तेजी से चाभी का गुच्छा उसके हाथो में रख कर मै भाग निकला । पता नही क्यों पर मै उसका सामना नही कर पाया ।
उसकी नजर मेरे आखो से हट ही नही रही थी । रात को भी बस वो ही वो नजर आ रही थी । जब सुबह दिल नही माना तो ,मैने एक ख़ास फैसला लिया की मै कल फिर उस मकान पर जाउगा ।

मिलने की आश

जब आपके पास कोई कारण न हो तो किसी के घर जाना भी किसी जंग से कम नही ,ख़ास कर जब आप किसी लड़की के चक्कर में जा रहे हो । पर जैसे मेरे पैरो में तो पंख लग गए हो और अब रुकना मुश्किल था । घर की रिंग बजाते थोड़ी शर्म आई पर काम बन ही गया । वो दरवाजे पर थी और मुझे ऐसे देख रही थी जैसे मै कोई भूत हूँ। मै कुछ कहता उससे पहले वो बोल बड़ी, तुम कल आए थे न । मैने अपना सर हां में भर दिया । तो अब क्या चाहिए । उसके सामने मेरे तो होठ ही जाम हो रहे थे । क्या चाहिए बोलो गे भी ।
मेने कहा कुछ भी नही और मै जाने लगा । मै लिफ्ट के पास गया ही था की पीछे से एक आवाज आई , सुनो एक काम है तुम मदद कर सकते हो । ये सुन कर जैसे डूबते को तिनके का सहारा मिल गया हो । और मेने अपना सर हाँ में हिला दिया ।

कुछ पल

काम कुछ खाश नही था ,बस कुछ किताबे इधर से उधर करनी थी सो मैने कर दी । मेरा ध्यान काम में कम और उसे देखने में जादा था । जब तक काम खत्म हुआ तब तक वो कॉफी बना कर ले आई । बालकनी की ठंडी हवा में उसके लट कभी उसकी आखो पर तो कभी उसके होठो को छु रहे थे । ये सब देख कर ही मेरा पेट भर गया । काफी देर तक तो खामोशी छाई रही । फिर मै ही बोल बैठा , आप यहां कब से है । mom dad , etc.......
उसने कहा : काफी साल गुजर गए यहां रहते हुए अब तो दिन भी याद नही ,मुझे याद है जब माँ मुझे इस घर में ले कर आई थी हम बहुत खुश थे पर माँ अब नही रही । पाप भी चले गए । अब बस में रह गई हूँ ।
ये सब सुनने के बाद काफी देर तक कमरे में खामोशी छाई रही । मै तो बस उसकी आखो को ही देख रहा था। इतनी छोटी सी उम्र में वो कितनी अकेली और तन्हा थी । हम एक दूसरे को जानने की कोशिश करने लगे हर एक पल वो अपनी जिंदगी की किताब के पन्ने खोलती रही और मै सुनता रहा और कब कप से कॉफी कब खत्म हुई पता भी नही चला । कई हफ्ते निकल गए। लगता था जैसे मुझे उससे प्यार हो रहा था पर उसके दिल में क्या था मै नही जानता था। वो तो एक राज़ था।

क्या सब झूठ था ।

अगले दिन मै सुबह -2 तैयार होकर निकल पड़ा। आज तो मै अपने दिल की बात कर के रहुगा । सामने मंजिल थी और मै जोश में था । और जल्दबाजी में मैने 3 की जगह 4 नंबर दबा दिया ,लिफ्ट 4th फ्लोर पर रुक गई और मैने बिना देखे 4th फ्लोर का bell ring बजा दिया । मेरे फेस पर एक चमक थी वो उस वक्त निकल गई जब एक बूढ़े नकल ने दरवाजा खोला । बेटा क्या चाहिए , मैने कहा सर आप कौन है । उन अंकल से बात करने पर पता चला की मे गलती से 4th फ्लोर पर आ गया हूँ। पर वो जादा हैरान तब नजर आए जब मैने कहा की मुझे 3rd फ्लोर पर जाना है । मुझे उनकी आखो में एक डर नजर आया वो काफी घबराए से दिखे ।
Sir आप 3rd फ्लोर का नाम सुन कर इतने घबरा क्यों रहे हो क्या बात है। क्या आप मुझसे कुछ छुपा रहे है ।

सच का दर्द ।

अंकल ने मुझे सारी कहानी बताना शुरू किया। और उन्होंने जो कहा उससे मेरा दिल टूट गया।
वो फ्लोर पिछले 10 सालो से खाली था न वहाँ कोई आता था न कोई जाता । और जिस लड़की की मै बात कर रहा था वो 11 साल पहले ही मर चुकी थी । उसके माता पिता का accident हो जाने के बाद वो एक दम अकेली रह गई थी ,न खाती थी न पिती थी ।बस खोई खोई रहती थी ,
और एक दिन ऐसा भी आया जब वो मरी हुई पायी गई। और पिछले 10 सालो से उस 3rd फ्लोर से रोने की आवाजे आती रहती है ।
मुझे कुछ समझ नही आ रहा था । लगता था की वो आज भी अपने माँ बाबा का इन्तजार कर रही हो।

तुम्हारी याद आएगी

मै उससे मिलना चाहता था इसलिए में फिर उस 3rd फ्लोर पर गया और bell बजाई ।
उसने दरवाजा खोला । और में अंदर आ गया ।
मै उस की ओर देख रहा था और वो मेरी ओर । तुम कुछ कहना चाहते हो रवि । मैने कहा कुछ नही .. मेरी आँखो से आंसू रुक नही रहे थे पर मै आखिर कर भि क्या सकता था । जिससे मैने इतना प्यार किया वो मन ही मन में कितनी दुखी थी ये तो बस वही जानती थी । मै चाह कर भी अब उसे अपना नही बना सकता था । उसने मुझसे कहा की मै अभी कॉफी बना कर लाती हूँ । हम घण्टो तक एक दूसरे को देखते रहे । आज पता नही क्यों पर न मै कुछ बोल पाया और न ही वो कुछ बोल पाई । जैसे वो जानती हो की मै ये जान चूका हु की वो मर चुकी है । मै उसे खोना नही चाहता था और इस कारण मै रोने लगा और उसके पास जाकर उसे अपनी बाहो में भर लिया । ऐसा लगा जैसे ये मेरी जिंदगी का सबसे खूबसूरत पल हो । उसने मुझे सिर्फ एक ही शब्द कहा thankq । उसने मेरे आँखो पर से मेरे आशु पोछे और कहा आज बहुत दिनों बाद मुझे बहुत अच्छा लग रहा है ।
और मेरा बाहर जाने का दिल कर रहा है ।
मैने बिना कुछ कहे उसे बाहर ले आया। हम दोनों एक पेड़ के निचे बैठ गए । उसका सर मेरे कन्धे पर था। मै उससे बहुत कुछ कहना चाहता था पर कह नही पा रहा था । उसने कहा रवि मुझे नींद आ रही है ।
मैने उसके बालो पर हाथ फेरते हुए कहा सो जाओ ...... तुम्हारे माँ बाबा तुम्हे बुला रहे है । और हम दोनों ने अपनी आँखे बन्द कर ली । जब मैने अपनी आँखे खोली तो वो जा चुकी थी ।

वो चली गई

अब उस फ्लोर से रोने की आवाजे नही आती ।
मै बस आसा करता हु की वो जहाँ भी हो ठीक हो । वो हमेशा मेरे दिल में रहेगी ।
इश्क सच्चा वही जिसे मंजिले नही मिली ।।

समय यात्रा ताजमहल को बनते देखा )

यादे हमेशा दुःख का कारण होती है और अतीत जो बुरा हो जीने नही देता । मै रवि चौधरी आज भी उस समय यात्रा हो नही भूल पाया जो खून से भरा हुआ था । उन दिनों मै आगरा में था और एक किले की जांच कर रहा था । तभी मैने कुछ अजीब से निशान को देखा । वो किसी तरह की भाषा थी पर मुझे वो समझ नही आ रहा था । कई महीनो की शोध के बाद आखिर कार मुझे उन शब्दों का अर्थ मालुम चल गया । उन शब्दों को पढ़के पता चला की उस किले में एक कुआँ है और उस कुँए में एक दरवाजा है । पर उसके आगे के शब्द मिट चुके थे इसलिए मै उन्हें पढ़ नही पा रहा था ।
अगले दिन मै उस कुँए की खोज में लग गया और आखिर कार मैने उस गुप्त कुँए को खोज ही लिया ।
कुँआ एक अँधेरे तेखाने के निचे था जहाँ सिर्फ कीड़ो के अलावा कुछ नही था । मेरे हाथ में एक torch था और एक रस्सी । कुँए में निचे जाने का कोई और उपाए नही था तो मैने सामने एक पथर से रस्सी को बान्ध दिया और मुँह में torch डाल के निचे कुँए में उतरने लगा । कुँए में साँप और बिच्छी भी थे पर मुझे उनका उतना डर नही था मै तो कुँए की ख़ामोशी से डरा हुआ था । आखिर कार में नीचे पहुँच गया । सामने एक लकड़ी का पुराना दरवाजा था मैने उसे खोलने की कोशिस की पर वो नही खुला । आखिर कार मैने 5 कदम पीछे लिए और तेजी से दरवाजे की ओर दौड़ पड़ा । एक जोर दार आवाज हुई और मै उसदरवाजे से जा टकराया । दरवाजा जैसे की टूटा वैसे ही किसी अनजान तागत ने मुझे अंदर खीच लिया ।
जब मेरी आँखे खुली तो मै कहि और ही था। लगता था जैसे उस कुँए के दरवाजे ने मुझे कहि लाकर फेक दिया हो । मै किसी रेत के टीले के निचे था ।मैने आँखे साफ़ की और ऊपर की ओर चढ़ने लगा और जैसे ही मै ऊपर पहुँचा मेरी आँखे फ़टी की फ़टी रह गई । लाखो की तादाद में लोगो को कहि ले जाया जा रहा था । मर्द औरते बच्चे और बूढ़े सभी इस भीड़ में थे । सभी की हालत बहुत ही खराब थी और उन्हें बुरी तरह पिट पिट कर ले जाया जा रहा था । ये सब देख कर मेरी हालत खराब होने लगी थी और में बेहोश हो कर गिर पड़ा ।
जब मेरी आँख खुली तो मैने खुद को एक पुरानी सी झोपडी में पाया ।मेरे बगल में सुराही थी तो मैने थोडा पानी पि लिया और झोपडी से बाहर निकला ।
मै रवि चौधरी यह कह सकता था की आज मेरा दिन अच्छा नही था पर मैने ऐसा कुछ देखा जिसने मेरे होश ही उड़ा दिये । मेरे सामने ताजमहल था और वो अभी बन रहा था । ताजमहल के चार खम्भे अभी बने नही थे और बिच के गुम्बद पर काम चल रहा था । मै उन मजदूरो को देख सकता था जो इतनी उचाई पर काम कर रहे थे। मेरी खुशि का कोई ठिकाना नही था की तभी मेरे सिर पर किसी ने पीछे से मारा और मै गिर गया जब मेरी आँखे खुली तो मै देख कर हैरान हो गया । किसी ने मेरे पाव में जंजीर बाँध दी थी । और जब मैने नजरें घुमाई तो चारो तरफ शमसानो जैसा माहौल था । लाखो की तादाद में लोगो से जबरदस्ती पत्थर तुड़वाए जा रहे थे ।बच्चों से पानी मगाया जा रहा था और औरते व बूढ़े पत्थरो को ढोने का काम कर रहे थे । मुझे ये समझने में जादा देर नही लगी की मै अब एक गुलाम बना दिया गया हु ।
एक हफ्ता हो चूका था और मुझमे और एक कुते में जादा फर्क नही था यहाँ । काम करते करते मेरी बुरी हालत हो चुकी थी । खाने को यहां कभी कभी ही मिलता था वो भी ऐसा खाना जो जानवर भी न खाए।
मुझे रोज़ ताजमहल के ऊपर काम पर ले जाया जाता था । हमारा गुलामो का एक ग्रुप था और उसमे एक लीडर होता था । एक ग्रुप में 1000 लोग थे और इसी तरह दूसरे ग्रुप भी काम करता था । हम सभी ताजमहल का ऊपरी काम सम्भालते थे ।

(45 days)

आज एक आदमी ऊपर से गिर गया । पर मेरे लिए ये एक आम बात सी हो चली थी । रोज 100 से जादा लोग मरते थे कुछ भूख के कारण तो कुछ बिमारी की वजह से जादा तर तो यहा सिपाहियो के अत्याचार के कारण मारे जाते है । पर मै कुछ नही कर सकता हु क्योंकि मै खुद एक गुलाम था । रोज़ हजारो लोगों को जो मर जाते या बीमार होते उन्हें जिन्दा ही दफन दिया जाता था मुर्दो के साथ । जो भी काम करते करते मर जाते थे उन्हें ताजमहल की नीव में फेक दिया जाता था । एक दिन एक बच्चा पत्थरो के निचे आ गया पर उसमे जान बाकी थी फिर भी सेनिको ने उसे ताजमहल की नीव में फेक दिया । कई बार तो मरने वालो को दीवारो में ही चुनवा दिया जाता था ताकि ख़र्चा कुछ कम हो जाए ।

(Day 100)
आज 100 दिन हो चके है और मै यहाँ से निकलना चाहता हु । मरते बच्चे और औरतो की चीखे मै और नही सुन सकता था । मुझे कुछ तो करना था ।
पूरी रात मै यही सोचता रहा की जिस कुँए ने मुझे यहाँ भेजा है वही कुँआ मुझे फिर से मेरे वक्त में मुझे पहुँचा सकता है ।
यही सोच कर अगले दिन मैने सभी गुलामो से उस कुँए के बारे में पूछने लगा । मुझे काफी जानकारियां मिलने लगी और आखिर कार मुझे वहाँ जाने का रास्ता भी पता चल गया । पर वो जगह काफी दूर थी और सिपाहियो से नजर बचा कर वहाँ जाना नामुमकिन था । इसलिए मै यहाँ से भागने की तरकीब सोचने लगा ।

(Day 110)
इतनी मेहनत के बाद आखिर कार मुझे मौका मिल गया । इसे किस्मत कह ले या मौका पर आज एक गुलाम बच्चों की नई टोली आई और मेरा काम देखते हुए मुझे उन बच्चों का leader बना दिया गया अब मेरा काम उन बच्चों पर नजर रखना और पानी लाना था ।
(Day 120)
जब सिपाहियो को मुझ पर भरोशा हो गया तो उन्होंने मेरे ग्रुप पर नजर रखना छोड़ दिया यही मौका था जब में वापस जा सकता था । अगले दिन का मेरा प्लान पक्का था । मैने सैनिको से जादा ऊट माग लिए ताकि जादा पानी लाया जा सके और मै अपनी मंजिल की ओर निकल पड़ा । कई घण्टो की यात्रा के बाद आखिर कार वो कुँआ नजर आने लगा ।
जब मै उस कुँए के पास पहुँचा तो में हैरान रह गया कुँए में पानी था । अब मै कैसे उस दरवाजे तक पहुँचूँ यही सोचने लगा । तभी बच्चे कुँए से पानी निकालने लगे । और मेरे दिमाग में idea आ गया । मैने सभी से कहा चलो पानी निकाले ।
हम सभी कुँए से बेतहासा पानी निकालने लगे जब तक कुँए में पानी कम न हो गया ।

आखिर कार कुँए में पानी खाफी कम बच गया था की मै तैर कर अंदर जा सकु । मैने सभी बच्चों को ऊट पर बैठने के लिए कहा और सब से कहा की तुम आजाद हो जाओ यहां से भाग जाओ । सभी बच्चे खुश हो गए और ऊट पर बैठ कर सभी चले गए । उनके जाते ही मैने कुँए में छलांग लगा दी । और तैर कर निचे जाने लगा । आखिर कार वो दरवाजा मुझे नजर आया मैने उसे खोलने की कोशिस की पर वो नही खुला और फिर में हवा लेने ऊपर आ गया मैने एक और बार डुबकी लगाई और मैने अपनी पूरी तागत से दरवाजे को खीचा और दरवाजा खुल गया और मै उस दरवाजे के अंदर खीच गया । एक तेज रौशनी हुई और जब मेरी आँख खुली तो मै कुँए में ही था । मुझे लगा शायद में उस दरवाजे को खोल नही पाया और मै तैरते हुए निचे गया तो देखा की वहाँ दरवाजा था ही नही ।
मै जोर जोर से चिल्लाने लगा की कोई मेरी आवाज सुन ले । तभी किसी ने मेरी तरफ रस्सी फेकी और मैने उसे पकड़ लिया । काफी मेहनत के बाद मै ऊपर चढ़ कर आ पाया । सामने एक लड़की थी जिसने बुरखा पहन रखा था । मैने उससे पूछा की मै कहा हु । उसने कहा मै delhi में हूँ । और जब उसने मुझे तारीख बताई तो मै हँस पड़ा ।
मै 1857 मे पहुँच गया था ।
अगली बार पढ़िएगा । कैसे मै मंगल पांडे से मिला । to be continue.........

मीठा बदला ।

एक बार की बात है प्रिया नाम की लड़की delhi के कालका जी में रही थी वो बहुत ही खूबसूरत और कमसिन थी । अगर कोई उसे एक बार भी देख ले तो वो उस पे फ़िदा हो जाता था । लड़को की लाइन उसके घर के आगे लगी रहती थी पर वो किसी को भाव नही देती थी । एक दिन jack नाम का लड़का उसकी life में आया और जैसे ही jack ने प्रिया को देखा वो भी दूसरे लड़को की तरह प्रिया पर फ़िदा हो गया । पर jack का प्यार सच्चा था और वो उससे शादी करना चाहता था पर वो एक आम लड़का था जिसके पास न कार थी न पैसा । उसके पास कुछ था तो सिर्फ उसका प्यार और यही प्यार लेकर वो एक दिन प्रिया के पास पहुँचा । प्रिया रेस्टोरेन्ट में खाना खा रही थी । jack वहाँ पहुँचा और घुटनो पर बैठ गया और अपना हाले दिल कह सुनाया ।
ये बात सुन कर प्रिया जोर जोर से हसने लगी और उसे एक जोर दार लात मार के गिरा दिया । और प्रिया बोली तुझ जैसे को तो मेरी कुतिया भी पसन्द न करे । गरीब कहि के भिखारी की औलाद ।
उस दिन प्रिया ने jack को खूब कोशा और वहाँ से चली गई । लोग jack पर जोर जोर से हसने लगे । ये सब सुन कर jack बर्दाश नही कर पाया और सड़क की ओर भागने लगा , तभी सामने से आती बस ने उसे मार दिया और jack मर गया ।

( 2 हफ़्ते बाद । )
प्रिया अपने घर की छत पर खड़ी थी तभी उसने एक लड़के को देखा जो कार से उतर रहा था । उसे देख प्रिया मोहित हो गई और जल्दी से निचे उतर कर उस लड़के को देखने गई पर उसे वो लड़का नजर नही आया ।
एक दिन प्रिया ने फिर उस लड़के को देखा वो एक रेस्टोरेन्ट में खाना खा रहा था । प्रिया फौरन उससे मिलने चली गई । जब प्रिया ने उसे देखा तो देखती रह गई । वो रितिक और जॉन की तरह handsome था । और अमीर भी लग रहा था ।
प्रिया फौरन उसकी टेबल पर बैठ गई और उसकी ओर देखने लगी पर उस लड़के ने कोई ध्यान नही दिया । ये देख प्रिया ने कहा आप कैसे है । लड़के ने फिर कोई ध्यान नही दिया । काफी देर बाद जब प्रिया वही बैठी रही तो उस लड़के ने प्रिया को कहा आप को क्या चाहिए । तो प्रिया शर्मा कर बोली मुझे आप से दोस्ती करनी है । ये सुनते ही लड़का हसने लगा और। कहा तुम जैसी लडकिया मेरे रोज़ चक्कर काटती रहती है तो क्या हर किसी को अपना बना लू ।
ये सुनते ही प्रिया रोने लगी और ये देख कर लड़का उसे चुप कराने लगा । लड़का बोला ठीक है रो मत मै तुसे दोस्ती करूँगा पर तुम्हे मुझसे शादी करनी होगी ।
प्रिया फौरन मान गई और दो दिन बाद प्रिया और उस लड़के ने शादी कर ली ।
शोहाग रात के दिन प्रिया अपने कमरे उस लड़के का इन्तजार कर रही थी और लड़का कमरे में आ गया । प्रिया ने कहा की मै तुमसे बहुत प्यार करती हूँ मुझे कभी छोड़ कर नही जाना । और लाइट बन्द कर दी ।
अगली सुबह जब प्रिया आइने के आगे बाल बना रही थी तो तभी उसका पति उसे पीछे से पकड़ लेता है ।
प्रिया कहती है छोड़ो न ।
तभी प्रिया की नजर आइने पर पड़ती है । उसके पीछे उसके पति की जगह उसे jack नजर आता है ।
उसके शरीर फटा हुआ और आँखे बाहर निकली देख प्रिया चीख पड़ती है ।
तभी उसका पति बोलता है । क्या हुआ प्रिया तुम अब मुझे प्यार नही करती ।।
अब मै तुम्हे कभी नही छोडूंगा ।