Wednesday, 1 June 2016

एक रात की दुल्हन

किसी जमाने में पाटलीपुत्र  के एक छोटे से गांव में एक बूढी और उसकी खूबसूरत पोती देविका रहती थी ,दूर दूर तक देविका के रूप के चर्चे थे और गांव का हर दूसरा आदमी उसे पाना चाहता था  उसके रूप और जवानी से खेलना चाहते थे पर कोई भी देविका से शादी नही करना चाहता था क्योंकि वो नीची जाती की थी , आए दिन कोई न कोई उसकी मजबूरी का फायदा उठा कर उसे हमबिस्तर करने की नापाक कोशिस करता पर आज तक कोई कामयाब नही हो पाया । फूल सी देविका रोज़ अपनी आबरू इन भूखे लोगो से बचाए अपनी और अपनी दादी का भरण पोषण करती । वो रोज़ जंगली बेर चुनती और उसे बाजार में बेचने जाती । देविका को अपनी खूबसूरती का बस इतना फायदा मिलता की लोग फल खरीदने के बहाने आते और अपनी गन्दी निगाहो से रोज़ उसका दीदार करते ,पर साथ ही साथ फल भी खरीद लेते ।
बस इसी तरह देविका और उसकी दादी का जीवन चल रहा था ।
  दादी अपनी झोपडी में बैठी हमेशा की तरह देविका की राह बाट रही  थी । तभी देविका आ गई ।  का री  इतना देर कहा लगा दिया । उ दादी आ कुछ जादा ही काम था और हमरी फिकर न किया कर ।  काहे न करू , दिन रात सोचत रहती हूँ की तेरी शादी कब करुँगी । ये सारे गांव वाले राह देख रहे है की मै कब मरु और वो कब तुझे नोच खाए ।
  ओ दादी इतना मत सोच अभी तू और 100 साल जिएगी ।  चल अब ई बता की कमली अपने सशुराल  से आई या नही  ।
   हां हा आ गई जा मिल ले पर घर जल्दी आ जइयो , ठीक है दादी हम आ जई ।
                 कमली के घर
और कमली कईसी है , अरे देविका तू आ जा हम तोहरे याद कर रही थी ।।  हा हा  मै आती हूँ पर ई तो बता की जीजा जी ने इतने दिन तक आने क्यों नही दिया ,  जा धत  देविका हम नही बताएगी ।  बोलो न क्या किया जीजा जी ने ।
    (  दोनों मुस्कुराने लगी और कुछ देर बाद.....)
 
तेरे जीजा बड़े जानवर है ,पहले तो दो मटके तारी पि गए और फिर नशे में पूरी तरह पागल होकर मेरे सारे कपड़े फाड़ दिए फिर अपने होटो की शराब मेरे होटो पर उतार दी और मै कुछ नही कर पाई , रात भर वो मुआ कुश्ती करता रहा और मेरा बदन टूटता रहा । जब सुबह हुई तो न मै होश मे थी न वो । कई दिनों तक तो मै सास भी नही ले पाई । पर जैसे ही पिताजी मुझे लेने आए मै फौरन वहा से भाग आई । वो मुआ तो मुझे आने ही नही दे रहा था । मै ही जानती हूँ की मै कैसे उस मुए के हाथो से बची ।
  ( ये सब सुन  कर देविका हँसने लगी ....)
तू हस रही है जब तेरी शादी होगी तो तब तुझे अपनी दादी न याद आई तो मेरा नाम बदल दियो।    ( बाते कई घण्टो तक यु ही चलती रही और फिर देविका कमली से विदा लेकर घर आ गई ....)
उस रात देविका ने खाना बनाया और जो भी रुखा सुखा था खा कर दोनों सो गए । अभी रात के आधी भी नही हुई थी की अचानक कुछ आवाज आई , जिससे दादी की आँख खुल गई पर देविका अभी भी सो रही थी ,दिन भर कड़ी मेहनत करने के कारण वो काफी गहरे नींद में थी।  दादी उठी और दिया उठा कर इधर उधर देखने लगी ,तभी उसे अँधेरे में कुछ नजर आया , वो कोई आदमी की आकृति थी जिसे देख बुढ़िया डर गई तभी उस आदमी ने तेजी से बुढ़िया का मुँह दबा कर बोला । 
     सुन मै एक डाकू हूँ और अगर तूने सोर मचाया तो तुझे मार डालूँगा , राजा के सिपाही मुझे ढूढ़ रहे है और अगर उन्होंने मुझे पकड़ लिया तो फाँसी पर चढा देगे ।  ये सब सुन कर बुढ़िया शांत हो गई  ये देख डाकू ने भी अपना हाथ उसके मुँह से हटा लिया और कोने में जा कर बैठ गया । बुढ़िया बोली बेटा मेरे जैसी बूढी के पास क्या है जो तू मुझे लूटने आया है , ये सुन डाकू बोला की राजा के हाथ लगा तो वो मुझे मार देगा इसलिए मै भागा भागा फिर रहा हूँ पर अब मै थक चुका हूँ भागते- 2 । न जाने कब मारा जाऊ । तभी  डाकू की नजर दूसरी तरफ गई जहां देविका सो रही थी । उसका रूप देख कर डाकू का मन और दिल दोनों मचल उठा ,उसे सुनहरे सपने नजर आने लगे । उसके मन से मौत का डर निकल गया , उसने देविका की ओर इशारा कर के बुढ़िया से पूछा वो कौन है । बुढ़िया कुछ सोच कर बोली वो मेरी पोती देविका है ।
  डाकू कुछ देर सोच कर बोला मुझे तुम्हारी पोती से शादी करनी है । ये सुन कर बुढ़िया के होश उड़ गए और वो रोने लगी की हमे छोड़ दो हमने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है मेरी पोती को छोड़ दो । तुम कब मर जाओ कौन जाने , क्यों मेरी पोती की जिंदगी खराब करना चाहते हो ।
(  कुछ देर तक एक शान्ति सी छा गई ....)
  डाकू बोला मै जानता हूँ की मै मरने वाला हूँ  पर मरने से पहले मै अपनी दिल की सभी इच्छाए पूरी करना चाहता हूँ । यही कारण है की मै तेरी पोती से शादी करना चाहता हूँ ।
    तभी बुढ़िया रोते रोते बोली की अगर मैने अपनी पोती की शादी तुझसे कर दी तो लोग तेरे मरने के बाद मेरी पोती की जिंदगी नर्क बना देगे तो फिर उसका क्या होगा । और ये बोलते बोलते वो रोने लगी ।
डाकू कुछ देर सोच कर बोला अगर किसी को मालूम होगा तब न । हम आज ही रात को शादी कर लेगे और मैने आज तक जितनी भी दौलत लूटी है वो सब तुम दोनों को दे दूँगा । न किसी को पता चलेगा और तुम उस दौलत से अपनी सारी जिंदगी मजे में गुजार सकती हो । सोच लो एक रात में इतनी दौलत तुम्हे कभी भी नही मिलेगी और कल होते ही मै मारा जाउगा । किसी को भी पता नही चलेगा की हमारे बीच क्या हुआ ।
बुढ़िया सोच में पड़ गई की एक ही रात मे पोती दुल्हन भी बनेगी और विधवा भी और ऊपर से इतनी सारी दौलत  और किसी को कानो कान खबर भी नही होगी ।  फिर किसी दूसरे गांव में जा कर फिर से अपनी पोती की शादी कर दूँगी
  एक लम्बी सास के बाद बुढ़िया बोली मुझे मंजूर है पर मुझे पहले दौलत चाहिए फिर होगी शादी ।  डाकू मान गया और 2 घण्टे बाद काली मन्दिर में आने को बोल वहा से भाग गया ।
                 देविका मान गई
देविका अभी भी नींद में थी । दादी उसके पास गई और उसे जगाने लगी । जब देविका जाग गई तो दादी ने सारी आप बीती उसे सूना दी जिसे सुन कर देविका रोने लगी पर दादी ने उसे अपनी कसम दे कर कहा की अगर वो ये शादी नही करेगी तो वो अपनी जान ले लेगी । ये सुन कर देविका डर गई और शादी के लिए मान गई ।
  उसी वक्त दादी और देविका  अँधेरी रात में काली मन्दिर की ओर चल दिए । डाकू पहले से ही सारा इंतजाम कर के बैठा था , जल्द ही शादी शुरू हो गई डाकू ने सोने से भरी गठरी बुढ़िया को दे दी और बुढ़िया ने देविका का हाथ डाकू को सौप दिया । जब शादी की सभी रस्मे ख़त्म हो गई तो डाकू देविका को अपने साथ ले जाने लगा और कहा की सुबह होने से पहले इसे काली मन्दिर ले आउगा ।  बुढ़िया ने दोनों को जाने दिया और सोने से भरी गठरी लेकर मन्दिर में बैठ गई ।
                  आखरी सोहाग रात
देविका काफी डरी हुई थी की न जाने अब क्या होगा ये डाकू न जाने उसके साथ क्या क्या करेगा । देविका सोच ही रही थी की दोनों एक खण्डर के सामने आ गए ,डाकू न घास का बिस्तर बना दिया और लकडिया इक्कठी कर के आग जला दी और देविका को घोड़े पर से उठा कर घास पर फेक दिया और उसकी और ललचाई नजरो से देखने लगा । उसने पहले देविका के पैर पकड़ लिए और उन्हें चूमने लगा  तभी देविका बोली की आज हमारी सोहाग रात है और मैने आपको दूध भी नही पिलाया । ये सुन कर डाकू हँसने लगा और बोला बस इतनी सी बात , मेरे पास दूध तो नही पर शराब बहुत है अभी लाता हूँ  और डाकू अपने घोड़े से बन्धी एक सुराही ले आया जिसमे शराब थी और उसने उसे देविका के पास रख दी और बोला  निकालो और पिला दो मुझे ,पर जल्दी करो आज मै तुम्हारी जवानी की किताब थोडा करीब से पढ़ना चाहता हूँ ।  देविका बोली अभी तो रात लम्बी और जवान है तो इतनी जल्दी क्यों । लो ये पि लो । 
      देविका डाकू को शराब पिलाती रही और डाकू पिता रहा । जब शराब खत्म हो गई तो डाकू पूरी तरह पागल सा हो गया और देविका पर किसी भूखे शेर की तरह झपटा पर देविका वहाँ से हट गई । जिससे डाकू को गुस्सा आ गया और वो देविका से जबरदस्ती करने लगा ।
तभी अचानक  डाकू के आँखो के आगे अँधेरा छाने लगा और वो जमीन पर गिर गया और उसके मुँह से झाग आने लगी और वो मर गया । देविका ने उसकी लाश को उठा कर घोड़े पर डाला और काली मन्दिर की ओर चल दी ।
                       खुनी कौन
जल्द ही देविका मन्दिर पहुच गई  जहा दादी उसका इंतजार कर रही थी ।  दादी समझ गई थी की उसकी चाल कामयाब हो गई थी और जो जहर उसने देविका को दिया था वो उसने उस डाकू को पिला दिया ।
जल्द ही सुबह हो गई और मन्दिर में लोग आने लगे पर जब सब की नजर डाकू की लाश पर गई तो पुरे गांव में खबर फैल गई की डाकू की लाश मन्दिर मे पाई गई है । उस लाश को देखने के लिए राजा स्वयं आते है और  पूछते है की इसे किसने मारा है तो कोई जवाब नही मिलता है । तभी भीड़ में से एक आवाज आती है महराज मेरी पोती ने । ये सुन कर सभी गांव वाले हैरान हो जाते है ।
राजा उन दोनों को आगे बुलाते है और सारा हाल बयान करने को कहते है । तो बुढ़िया बोलती है की महराज मै और मेरी पोती सुबह मन्दिर में आए तो इस डाकू ने हमपे हमला कर दिया पर मेरी पोती डरी नही और माँ काली का त्रिशूल लेकर इसके सीने में उतार दिया ।
     ये सुन कर राजा बहुत खुश हुए और देविका को बधाई दी साथ ही साथ उससे विवाह का पसताव भी रखा जिसे देविका ने स्वीकार कर लिया ।   जल्द ही देविका की शादी राजा से हो गई और वो ख़ुशी ख़ुशी अपनी दादी के साथ रहने लगी ।
   किसी को कभी पता नही चला की उस रात क्या हुआ । ये राज तो सिर्फ वो एक रात की दुल्हन ही जानती थी ।

   आखरी ख़ुशी (एक साया)

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