Sunday, 5 June 2016

ठंडी औरत

न जाने कैसे आज सामान खरीदते हुए इस बदनाम गली के सामने आ पहुचा ,50 साल बाद इस तरफ आया हूँ और आज भी वो यादे मेरे साथ है ,,मै सोच ही रहा था की तभी मेरी नजर उस पर पड़ी, क्या ये वही थी । लोग आ रहे है और जा रहे है कोई उसे रहम की निगाह से देखता है तो कोई दो पैसे फेक देता है । गली के कोने में आज जो बेसुध लेटी है ,कपड़े थोड़े फ़टे हुए है और लगता है जैसे वो हफ़्तों से नही नहाईं । आज गली का कुत्ता भी उसे नही सूंघता और एक वो भी दिन थे जब लोग उसके पैर चूमने के लिए लाखो खर्च कर देते थे ,न जाने कितने घर बिक गए उसकी जवानी पे और न जाने कितने आशिक बने । क्या ये वही सोनिया है जिसकी एक आवाज पर दिल और सास एक दूसरे से बगावत कर बैठती थी । लेकिन आज वो गली के कोने तक कैसे जा पहुँची ।
   आप सोच रहे होंगे की मै रवि किसकी बात कर रहा हूँ कौन है ये सोनिया और आखिर इसका मेरे संग क्या रिश्ता है ।
  बात उन दिनों की है जब मै जवानी की दहलीज पर था। नया खून और तन में आग इस उम्र की निशानिया होती है और यही आग अंदर ही अंदर हर किसी को जलाती है जब तक इसे बुझा न लो , पर ये आग न पानी से बुझती है न ही मंजिल को पाने से ,ये तो वो कुँआ है जो कभी भर ही नही सकता । जिसे हवस कहते है ।
  और मै भी बाकी जवानों की तरह  तन की आग को बुझाने उन गलियो में जा पहुचा जहाँ दिन कुछ और रात कुछ और । ये मेरी पहली भूल थी जिसे मै अपने दोस्तों के साथ करने जा रहा था । हर तरफ रंगीनिया नजर आ रही थी ,लोगो का ताता सा लगा था जैसे कोई मन्दिर आया हो , पर देवी को पूजने नही बल्कि दुसरो की बेटियो के कपड़े उतारने । इस बदनाम गली मे लोग इशारो से काम ले रहे थे , ऊपर से लडकिया आवाजे लगा रही थी और निचे उनके दलाल दाम बता रहे थे जैसे फल या सब्जी बेच रहे हो ।
तभी एक लँगड़ा दलाल हमारे पास आकर गाना गाने लगा ... चुप चुप खड़े हो जरूर कोई बात है ,,, पहली मुलाक़ात है ये पहली मुलाक़ात है ।
पहले तो हम डर गए फिर उस लगड़े ने गाना बदल दिया और बोला ,,,,, टिप टिप बरशा पानी पानी में आग लगी ,,,  क्या साहब क्या सेवा करुँ ,  हम डरे हुए थे इसलिए हमने कहा हमे कुछ नही चाहिए । तभी सलमान मेरा दोस्त बोला कुछ अच्छा है । लंगड़ा दलाल हँसा और फिर बोला तबियत खुश न हुई तो नाम बदल देना । उसने आँखो से इशारा किया और हम उसके पीछे हो लिए , हम एक मकान के सामने आ गए
,वो हमे ऊपर ले आया और तस्वीरें दिखाने लगा , सकल से तो लँगड़ा किसी movie का comedian लगता था , पर इस बदनाम गली में हर चेहरा नकली था । जिसका पता मुझे तब लगा जब अचानक वहा कुछ लोग आ गए जो उनके ही लोग थे उन लोगो ने  बिना हमारी मर्जी के हमारे जेब से सारे पैसे निकाल लिए और  सिर्फ घर जाने का भाड़ा छोड़ दिया , हम कुछ नही कर सकते थे क्योंकि हम ये बात जानते थे की इस बदनाम गली में ये सब होता ही रहता है इसलिए हम सिर्फ 200 रूपये ही ले कर चले थे ।   
जल्द ही हमे हमारे कमरे तक छोड़ दिया गया मेरे सारे दोस्त अपने कमरो में चले गए और अब मेरी बारी थी ,जैसे ही मै अंदर गया अंदर का माहौल काफी चमकदार था कुछ अजीब सी सजावटे और किताबे  जो की चारो ओर बिखरी हुई थी । एक लड़की जो कोने मे बैठी पढ़ रही थी । उसने मुझसे कहा बैठ जाओ साहब अभी आती हू । मै इधर उधर देखने लगा और पास की चारपाई पर बैठ गया । मै कुछ सोच ही रहा था की वो मेरे सामने आ गई और बोली साहब पानी ,,,, ,, । मैने कहा नही thanq ..
  मै काफी घबराया हुआ था और शायद वो भी ।
   मैने कहा मुझे कुछ नही करना बस तुम यहाँ बैठ जाओ और बताओ की तुम क्या करती हो ।
   क्या तुम पढ़ती भी हो ?
कुछ देर रुक कर वो बोली हा थोडा बहुत शौक है कभी स्कूल नही जा सकी पर पढ़ने का शौक हमेशा रहा , ☺☺☺☺☺
तो तुम्हारा नाम क्या है ,,,  पता नही माँ ने क्या नाम रखा था पर सब लोग मुझे सोनिया बुलाते है ।  काफी देर के लिए कमरे मे ख़ामोशी छा गई 
     सोनिया ने मेरा हाथ पकड़ लिया और उसे कस के पकड़ कर मेरी तरफ देखने लगी जैसे डूबते को तिनका मिल गया हो । मै भी सोनिया को देखने लगा ।
     मै मन ही मन सोचने लगा की इतनी कम उम्र में सोनिया जैसी लड़की आखिर किन कारणों से इन गन्दे हालातो मे फस गई । सोनिया जैसी खूबसूरत और हिरणी आँखो वाली लड़की के साथ ये जो कुछ भी हो रहा था ये सब ठीक नही था पर मै चाह कर भी उसे इस दलदल से नही निकाल सकता था ।
और तभी सोनिया एक गीत गुनगुनाने लगी, ऐसा लगा जैसे संगीत की देवी कोई दर्द भरा गीत गुनगुना रही  हो । मेरा हाथ उसके हाथ में था और वो गीत गा रही थी । उसकी सुंदर आँखे ,वो बाल , वो चेहरा ..... किसी का भी दिल पिघला दे ।  जल्द ही हम काफी करीब आ गए उस दिन पहली बार मैने किसी से दिल खोल कर बाते की जैसे जन्मों के दोस्त हो । ये पल मै कभी नही भूल पाया और कुछ देर बाद मैने उसके माथे को चूम लिया और कमरे मे एक सन्नाटा सा छा गया ।  
कुछ देर तक हम एक दूसरे को देखते रहे  तभी दरवाजे पर किसी की आहट हुई , वो मेरा दोस्त सलमान था , उसने कहा ..चल अब यहाँ से अब बहुत देर हो गई । सोनिया ने मेरे हाथो को कस कर पकड़ लिया जैसे वो नही चाहती थी की मै जाऊ और कहि न कहि मै भी यही चाहता था पर मै मजबूर था जाने के लिए ।
सोनिया ने कहा की अब कब आओगे ... मै जानता था की  अब  मै इस बदनाम गली मे कभी नही आउगा पर मैने उससे कह दिया जल्द ही  , और ये कह कर तेजी से मै वहा से निकल गया , मेरी आखो में आंसू थे और दिल में टिस ,की आखिर मैने उससे झूठ क्यों बोला । वो वही छत पर खड़ी मुझे जाते देख रही थी और न जाने क्यों मुझे उसकी भी आँखे नम लगी और मै उस जगह से निकल गया ।

  एक वो दिन था और आज ये दिन है 50 साल बीत गए और आज फिर से सोनिया मेरे आँखो के सामने है , पर आखिर उसे हुआ क्या ,उसकी इतनी बुरी हालत देख मेरा दिल रोने लगा , मै फौरन उसके पास पहुँच गया और उसे आवाज लगाई ,,, सोनिया क्या तुम हो ?
वो धीरे से पीछे मुड़ी और बोली कौन , मैने कहा मै हूँ रवि कुछ याद आया ,
   उसने मुझे  देखा और तभी वो तेजी से खाँसने लगी ,मैने जैसे ही उसे सहारा देने के लिए हाथ लगाया मुझे आभास हुआ की उसे बहुत तेज बुखार है और वो खाँसते -2 बेहोश हो गई ।
   मैने फौरन auto बुलाया  और  वही के एक आदमी जो की फल बेचता था की मदद से उसे auto में डाला और हम अस्पताल की ओर चल दिए । मैने कहा भाई जल्दी ले चलो ,,
     कुछ देर रुक कर auto वाला बोला साहब जी आप काफी नेक बन्दे लगते है इस वेश्या का कोई नही है न जाने कब से गली में ही रह रही थी ।       मैने ऑटो वाले से पूछा की क्या तुम इसे जानते हो तो ऑटो वाला बोला हा साहब मै  पछले 30 सालो से यहा रिक्शा चला रहा हूँ और हर किसी को जानता हूँ । बडा अधर्म हुआ इसके साथ ,,  मैने पूछा क्या हुआ था ।
   Auto वाला बोला साहब  जब तक रस है तब तक भवरे मंडराते रहते है और जिस दिन रस खत्म हो जाता है कोई कुत्ता भी पूछने नही आता । आज कल हर धंधा करने वाली औरतो का यही हाल है । जब तक जवानी रहती है तब तक ग्राहक आते रहते है और जब जवानी ठण्डी  हो जाती है तो इन्ही औरतो को भीख माग कर गुजारा करना पड़ता है । साहब बहुत बुरा हाल होता है इनका , न कोई काम देता है न कहि इज्जत मिलती है ।  लेकिन पेट तो पालना ही है न साहब तो अब भीख मांगनी ही पड़ेगी । न रहने के लिए को घर न ही कोई रिश्तेदार ।  साहब आजकल तो हर बूढी वेश्याओ का यही हाल है , कुछ आत्महत्या कर लेती है। तो कुछ लड़ती रहती है कभी खुद से तो कभी समाज से।  ये सब सुन कर मेरी आँखे नम हो गई ।
(  लो साहब अस्पताल आ गया ।...... )
   मैने अपनी आँखे साफ़ की और सोनिया को अंदर ले गया । डॉक्टरों ने मुझे बताया की उसे केंसर है और अब उसके बचने की कोई उमीद नही है । अब वो जादा से जादा 3 से 4 महीने ही जी पाएगी । ये अब सुन कर मेरे पैरो तले जमीन खिसक गई ।  पर मैने फैसला कर लिया की ये आखरी पल उसके अपने पल है और उसे भी जीने का हक है ।  वो खुशिया जो उसे नही मिल पाई मै उसे दूँगा । अब उसका हर पल हजार जिंदगियां जिएगा ।
  डॉक्टरों ने कहा की अब मै उनसे मिल सकता हूँ ।  मै काफी डरा हुआ था की क्या मै उसे याद होगा । आखिर कार मै उसके सामने आ ही गया ।   सोनिया मुस्कुरा रही थी । उसने मुझसे कहा आखिर तुम आ ही गए ।
  मैने कहा हां आ गया पर थोडी देर हो गई ।
   सोनिया बोली कोई नही ,,,,, आ तो गए ।
हमारी आँखे एक दूसरे को देख रही थी ।
  ऐसा लग रहा था जैसे मै फिर उसी वक्त में आ गया हूँ जब मै सोनिया से पहली बार मिला था ।
और शायद वो भी यही महशुस कर रही थी ।

                                       लेखक   
                                   रवि चौधरी
 
  
 
      
 

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