Tuesday, 21 June 2016

पापी कौन ?


काशी में प्रतापमुकुट नाम का राजा राज्य करता था। उसके वज्रमुकुट नाम का एक बेटा था। एक दिन राजकुमार दीवान के लड़के को साथ लेकर शिकार खेलने जंगल गया। घूमते-घूमते उन्हें तालाब मिला। उसके पानी में कमल खिले थे और हंस किलोल कर रहे थे। किनारों पर घने पेड़ थे, जिन पर पक्षी चहचहा रहे थे। दोनों मित्र वहाँ रुक गये और तालाब के पानी में हाथ-मुँह धोकर ऊपर महादेव के मन्दिर पर गये। घोड़ों को उन्होंने मन्दिर के बाहर बाँध दिया। वो मन्दिर में दर्शन करके बाहर आये तो देखते क्या हैं कि तालाब के किनारे राजकुमारी अपनी सहेलियों के साथ स्नान करने आई है। दीवान का लड़का तो वहीं एक पेड़ के नीचे बैठा रहा, पर राजकुमार से न रहा गया। वह आगे बढ़ गया। राजकुमारी ने उसकी ओर देखा तो वह उस पर मोहित हो गया। राजकुमारी भी उसकी तरफ़ देखती रही। फिर उसने किया क्या कि जूड़े में से कमल का फूल निकाला, कान से लगाया, दाँत से कुतरा, पैर के नीचे दबाया और फिर छाती से लगा, अपनी सखियों के साथ चली गयी।

उसके जाने पर राजकुमार निराश हो अपने मित्र के पास आया और सब हाल सुनाकर बोला, “मैं इस राजकुमारी के बिना नहीं रह सकता। पर मुझे न तो उसका नाम मालूम है, न ठिकाना। वह कैसे मिलेगी?”

दीवान के लड़के ने कहा, “राजकुमार, आप इतना घबरायें नहीं। वह सब कुछ बता गयी है।”

राजकुमार ने पूछा, “कैसे?”

वह बोला, “उसने कमल का फूल सिर से उतार कर कानों से लगाया तो उसने बताया कि मैं कर्नाटक की रहनेवाली हूँ। दाँत से कुतरा तो उसका मतलब था कि मैं दंतबाट राजा की बेटी हूँ। पाँव से दबाने का अर्थ था कि मेरा नाम पद्मावती है और छाती से लगाकर उसने बताया कि तुम मेरे दिल में बस गये हो।”

इतना सुनना था कि राजकुमार खुशी से फूल उठा। बोला, “अब मुझे कर्नाटक देश में ले चलो।”

दोनों मित्र वहाँ से चल दिये। घूमते-फिरते, सैर करते, दोनों कई दिन बाद वहाँ पहुँचे। राजा के महल के पास गये तो एक बुढ़िया अपने द्वार पर बैठी चरखा कातती मिली।

उसके पास जाकर दोनों घोड़ों से उतर पड़े और बोले, “माई, हम सौदागर हैं। हमारा सामान पीछे आ रहा है। हमें रहने को थोड़ी जगह दे दो।”

उनकी शक्ल-सूरत देखकर और बात सुनकर बुढ़िया के मन में ममता उमड़ आयी। बोली, “बेटा, तुम्हारा घर है। जब तक जी में आए, रहो।”

दोनों वहीं ठहर गये। दीवान के बेटे ने उससे पूछा, “माई, तुम क्या करती हो? तुम्हारे घर में कौन-कौन है? तुम्हारी गुज़र कैसे होती है?”

बुढ़िया ने जवाब दिया, “बेटा, मेरा एक बेटा है जो राजा की चाकरी में है। मैं राजा की बेटी पह्मावती की धाय थी। बूढ़ी हो जाने से अब घर में रहती हूँ। राजा खाने-पीने को दे देता है। दिन में एक बार राजकुमारी को देखने महल में जाती हूँ।”

राजकुमार ने बुढ़िया को कुछ धन दिया और कहा, “माई, कल तुम वहाँ जाओ तो राजकुमारी से कह देना कि जेठ सुदी पंचमी को तुम्हें तालाब पर जो राजकुमार मिला था, वह आ गया है।”

अगले दिन जब बुढ़िया राजमहल गयी तो उसने राजकुमार का सन्देशा उसे दे दिया। सुनते ही राजकुमारी ने गुस्सा होंकर हाथों में चन्दन लगाकर उसके गाल पर तमाचा मारा और कहा, “मेरे घर से निकल जा।”

बुढ़िया ने घर आकर सब हाल राजकुमार को कह सुनाया। राजकुमार हक्का-बक्का रह गया। तब उसके मित्र ने कहा, “राजकुमार, आप घबरायें नहीं, उसकी बातों को समझें। उसने देसों उँगलियाँ सफ़ेद चन्दन में मारीं, इससे उसका मतलब यह है कि अभी दस रोज़ चाँदनी के हैं। उनके बीतने पर मैं अँधेरी रात में मिलूँगी।”

दस दिन के बाद बुढ़िया ने फिर राजकुमारी को ख़बर दी तो इस बार उसने केसर के रंग में तीन उँगलियाँ डुबोकर उसके मुँह पर मारीं और कहा, “भाग यहाँ से।”

बुढ़िया ने आकर सारी बात सुना दी। राजकुमार शोक से व्याकुल हो गया। दीवान के लड़के ने समझाया, “इसमें हैरान होने की क्या बात है? उसने कहा है कि मुझे मासिक धर्म हो रहा है। तीन दिन और ठहरो।”

तीन दिन बीतने पर बुढ़िया फिर वहाँ पहुँची। इस बार राजकुमारी ने उसे फटकार कर पच्छिम की खिड़की से बाहर निकाल दिया। उसने आकर राजकुमार को बता दिया। सुनकर दीवान का लड़का बोला, “मित्र, उसने आज रात को तुम्हें उस खिड़की की राह बुलाया है।”

मारे खुशी के राजकुमार उछल पड़ा। समय आने पर उसने बुढ़िया की पोशाक पहनी, इत्र लगाया, हथियार बाँधे। दो पहर रात बीतने पर वह महल में जा पहुँचा और खिड़की में से होकर अन्दर पहुँच गया। राजकुमारी वहाँ तैयार खड़ी थी। वह उसे भीतर ले गयी।

अन्दर के हाल देखकर राजकुमार की आँखें खुल गयीं। एक-से-एक बढ़कर चीजें थीं। रात-भर राजकुमार राजकुमारी के साथ रहा। जैसे ही दिन निकलने को आया कि राजकुमारी ने राजकुमार को छिपा दिया और रात होने पर फिर बाहर निकाल लिया। इस तरह कई दिन बीत गये। अचानक एक दिन राजकुमार को अपने मित्र की याद आयी। उसे चिन्ता ई कि पता नहीं, उसका क्या हुआ होगा। उदास देखकर राजकुमारी ने कारण पूछा तो उसने बता दिया। बोला, “वह मेरा बड़ा प्यारा दोस्त हैं बड़ा चतुर है। उसकी होशियारी ही से तो तुम मुझे मिल पाई हो।”

राजकुमारी ने कहा, “मैं उसके लिए बढ़िय-बढ़िया भोजन बनवाती हूँ। तुम उसे खिलाकर, तसल्ली देकर लौट आना।”

खाना साथ में लेकर राजकुमार अपने मित्र के पास पहुँचा। वे महीने भर से मिले नहीं। थे, राजकुमार ने मिलने पर सारा हाल सुनाकर कहा कि राजकुमारी को मैंने तुम्हारी चतुराई की सारी बातें बता दी हैं, तभी तो उसने यह भोजन बनाकर भेजा है।

दीवान का लड़का सोच में पड़ गया। उसने कहा, “यह तुमने अच्छा नहीं किया। राजकुमारी समझ गयी कि जब तक मैं हूँ, वह तुम्हें अपने बस में नहीं रख सकती। इसलिए उसने इस खाने में ज़हर मिलाकर भेजा है।”

यह कहकर दीवान के लड़के ने थाली में से एक लड्डू उठाकर कुत्ते के आगे डाल दिया। खाते ही कुत्ता मर गया।

राजकुमार को बड़ा बुरा लगा। उसने कहा, “ऐसी स्त्री से भगवान् बचाये! मैं अब उसके पास नहीं जाऊँगा।”

दीवान का बेटा बोला, “नहीं, अब ऐसा उपाय करना चाहिए, जिससे हम उसे घर ले चलें। आज रात को तुम वहाँ जाओ। जब राजकुमारी सो जाये तो उसकी बायीं जाँघ पर त्रिशूल का निशान बनाकर उसके गहने लेकर चले आना।”

राजकुमार ने ऐसा ही किया। उसके आने पर दीवान का बेटा उसे साथ ले, योगी का भेस बना, मरघट में जा बैठा और राजकुमार से कहा कि तुम ये गहने लेकर बाज़ार में बेच आओ। कोई पकड़े तो कह देना कि मेरे गुरु के पास चलो और उसे यहाँ ले आना।

राजकुमार गहने लेकर शहर गया और महल के पास एक सुनार को उन्हें दिखाया। देखते ही सुनार ने उन्हें पहचान लिया और कोतवाल के पास ले गया। कोतवाल ने पूछा तो उसने कह दिया कि ये मेरे गुरु ने मुझे दिये हैं। गुरु को भी पकड़वा लिया गया। सब राजा के सामने पहुँचे।

राजा ने पूछा, “योगी महाराज, ये गहने आपको कहाँ से मिले?”

योगी बने दीवान के बेटे ने कहा, “महाराज, मैं मसान में काली चौदस को डाकिनी-मंत्र सिद्ध कर रहा था कि डाकिनी आयी। मैंने उसके गहने उतार लिये और उसकी बायीं जाँघ में त्रिशूल का निशान बना दिया।”

इतना सुनकर राजा महल में गया और उसने रानी से कहा कि पद्मावती की बायीं जाँघ पर देखो कि त्रिशूल का निशान तो नहीं है। रानी देखा, तो था। राजा को बड़ा दु:ख हुआ। बाहर आकर वह योगी को एक ओर ले जाकर बोला, “महाराज, धर्मशास्त्र में खोटी स्त्रियों के लिए क्या दण्ड है?”

योगी ने जवाब दिया, “राजन्, ब्राह्मण, गऊ, स्त्री, लड़का और अपने आसरे में रहनेवाले से कोई खोटा काम हो जाये तो उसे देश-निकाला दे देना चाहिए।” यह सुनकर राजा ने पद्मावती को डोली में बिठाकर जंगल में छुड़वा दिया। राजकुमार और दीवान का बेटा तो ताक में बैठे ही थे। राजकुमारी को अकेली पाकर साथ ले अपने नगर में लौट आये और आनंद से रहने लगे।

इतनी बात सुनाकर बेताल बोला, “राजन्, यह बताओ कि पाप किसको लगा है?”

राजा ने कहा, “पाप तो राजा को लगा। दीवान के बेटे ने अपने स्वामी का काम किया। कोतवाल ने राजा को कहना माना और राजकुमार ने अपना मनोरथ सिद्ध किया। राजा ने पाप किया, जो बिना विचारे उसे देश-निकाला दे दिया।”

राजा का इतना कहना था कि बेताल फिर उसी पेड़ पर जा लटका। राजा वापस गया और बेताल को लेकर चल दिया। बेताल बोला, “राजन्, सुनो, एक कहानी और सुनाता हूँ।” ..
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Wednesday, 15 June 2016

आख़िर आंसू क्यों निकलते हैं?

चोट लगने से आंसू आते हैं और दुखी होने पर भी आंसू आते हैं. सवाल है क्यों?
वैसे तकनीकी रूप से आंसू आंख में होने वाली दिक्कत का सूचक है. ये आँख को शुष्क होने से बचाता है और उसे साफ और कीटाणु रहित रखने में मदद करता है. ये आंख की अश्रु नलिकाओं से निकलने वाला तरल पदार्थ है जो पानी और नमक के मिश्रण से बना होता है.
लेकिन भावुक होने पर आने वाले आंसू अब भी अबूझ हैं?

आंसू आते क्यों हैं?
प्रोफेसर माइकल ट्रिंबल इंस्टीट्यूट ऑफ़ न्यूरोलॉजी में न्यूरोलॉजी के प्रोफ़ेसर हैं. साथ ही वो, ‘इंसान रोना क्यों चाहता है’ किताब के लेखक भी हैं.
वो कहते हैं, “डार्विन ने कहा था कि भावुकता के आंसू सिर्फ़ इंसान ही बहाते हैं और फिर किसी ने इस बात का खंडन नहीं किया. दरअसल रोने की प्रयोशाला में जांच नहीं की जा सकती.”
विज्ञान इस पर क्या कहता है? ज़्यादा कुछ नहीं.
रेडियो फॉल्स ऑन द माइंड की प्रस्तुतकर्ता और इमोशनल रोलर कोस्टर किताब की लेखिका क्लाउडिया हेमंड के अनुसार, “हालांकि हम सभी रोते हैं लेकिन इस पर प्रयोगशाला में अध्ययन बहुत कम हुआ है.”
उन्होंने बताया, “प्रयोगशाला में लोगों को रोने के लिए प्रेरित करने के लिए आपको उदास करने वाला संगीत बजाना होगा, रुलाने वाली कोई फ़िल्म दिखानी होगी या उदास करने वाला कुछ पढ़ने को देना होगा और फिर उन पर नज़र रखनी होगी कि वो कब रोते हैं. लेकिन दिक्कत ये है कि असल ज़िंदगी में रोना बहुत अलग होता है.”
वो आगे कहती हैं, “आप लोगों से पूछ सकते हैं कि आपको रोना कब आता है या पिछली बार आपको किस वजह से रोना आया था लेकिन इसके उत्तर बहुत अलग-अलग होते हैं.”
विज्ञान लेखक और मनोवैज्ञानिक जैसी बैरिंग कहते हैं, “दिक्कत ये है कि कोई किस चीज़ को देखकर दुखी होता है, ये हर आदमी के हिसाब से अलग होता है.”
रोने की वजह क्या है?
क्या रोना अलग-अलग क्षेत्र के हिसाब से अलग हो सकता है.
क्लाउडिया हेमंड कहती हैं, “ये अलग-अलग संस्कृति के हिसाब से अलग हो सकता है. अगर देश के लिहाज से देखें तो आदमी-औरत दोनों के रोने के लिहाज से अमरीका सबसे ऊपर है. सबसे कम रोने वालों में मर्द बुल्गारिया के हैं तो औरतें आइसलैंड और रोमानिया की.”
प्रोफेसर ट्रिंबल कहते हैं, “अगर आप मुझसे पूछें कि रोने के सार्वभौमिक कारण क्या हैं तो मैं कहूंगा सबसे पहला है संगीत.”
वे बताते हैं, “मैंने कई अंतरराष्ट्रीय सर्वे किए हैं- लेक्चर के दौरान मैं कहता हूं कि संगीत सुनकर कितने लोग रोते हैं तो 90 लोग हाथ उठा देते हैं. कविता से जुड़कर 60 फीसदी, और किसी अच्छी पेंटिंग को देखकर 10 से 15 फ़ीसदी लोग रोते हैं. जब मैं सवाल मूर्ति या ख़ूबसूरत बिल्डिंग को देखकर रोने का पूछता हूं तो एक भी हाथ नहीं उठता.”
लेकिन क्या रोने से हमें कोई फ़ायदा होता है?
यूनिवर्सिटी ऑफ़ सदर्न फ़्लोरिडा के मनोवैज्ञानिक जॉनेथन रोटैनबर्ग कहते हैं, “हमने हज़ार लोगों से विस्तार से ये बताने को कहा कि वो कब रोए थे. सभी मामलों में सामाजिक समर्थन तभी मिला जब वो किसी के सामने रोए. अकेले में तकिए में सिर छुपा कर रोने से कोई फ़ायदा नहीं होता.”
क्या रोने का फ़ायदा है?
रोने के फ़ायदे पर राय अलग-अलग हो सकती है तो रोने के उदगम के बारे में चीज़ें और भी अनिश्चित हैं.
जैसी बैरिंग कहते हैं, “आंसुओं के मामले में इंसान जानवरों से बहुत अलग है अपने सबसे नज़दीकी रिश्तेदार चिम्पांजी से भी. हम दूसरों की तरह सोच सकते हैं, हम खुद को उनकी जगह रखकर देख सकते हैं और यही हमें संभावित शिकार बनाता है, आंसुओं से हमें धोखा दिया जा सकता है.”
यूनिवर्सिटी ऑफ़ मैरीलैंड में मनोविज्ञान और न्यूरो साइंस के प्रोफ़ेसर रॉबर्ट प्रोलाइन का विचार कुछ अलग है. वो आंसुओं से संपूर्ण प्रभाव पर अध्ययन कर रहे हैं.
वो कहते हैं, “आंसुओं का दृश्य-प्रभाव देखने के लिए हमने ऐसी तस्वीरें निकालीं जिसमें लोगों के आंसू निकल रहे थे. हमने कंप्यूटर द्वारा उसमें से आंसू हटा दिए. फिर उसके भाव देखने के लिए हमने लोगों को दिए. आश्चर्यजनक रूप से हमने पाया कि आंसू हटा देने के बाद तस्वीर में आदमी या तो कम दुखी लगता है या बिल्कुल दुखी नहीं लगता. दुख के आंसू सब कुछ बदल देते हैं.”
लेकिन क्या आंसू सिर्फ़ दुख का सूचक हैं या ये कुछ और भी हैं?
इसराइल के वाइट्स मैन इंस्टीट्यूट में न्यूरोबायलॉजी के प्रोफेसर नोएम सबाओ ऐसा ही मानते हैं. वो कहते हैं कि चूहों के आंसुओं में एक रासायनिक संदेश थेर्मौन होता है, जो दूसरे चूहों के व्यवहार को प्रभावित कर सकता है.
लेकिन क्या ऐसा इंसानों के साथ भी हो सकता है?
नोएम ने भावुकता से पैदा हुए आंसुओं का सैंपल लिया और कामोत्तेजना पर उसकी जांच की. उन्होंने पाया कि दुख के आंसुओं का कामोत्तेजना पर असर पड़ा है और ये कम हुई है.
“आंसू सूंघने वाले आदमियों में टेस्टेरॉन का स्तर तेजी से कम हुआ था.“
टेस्टेरॉन का स्तर कम होने से आदमी की आक्रामकता भी कम होती है. इसका मतलब ये है कि आंसुओं से सीधा संदेश जाता है- कृपया मुझ पर हमला न करें.
तो शोध का निष्कर्ष ये है कि इंसानों से आंसुओं में भी केमिकल सिग्नल होता है. हालांकि ये रासायनिक संदेश क्या है इसका अभी पता नहीं चला है.
क्या महिलाएँ पुरुषों से ज़्यादा रोती हैं?
प्रोफ़ेसर सबाओ ने एक प्रयोग किया. उन्होंने अपने घर और पड़ोस में आग लगा दी. इसे देखकर रोने वाले लोगों में 70 महिलाएं थीं और सिर्फ़ एक पुरुष.
प्रोफ़ेसर रौटैनबर्ग कहते हैं, “शिशुओं के रोने पर काफ़ी अध्ययन किया गया है, ये आसान है. लेकिन 10-11 की उम्र में जब लड़का और लड़की अपने लिंग को पहचानने लगते हैं, तबसे लड़कियां लड़कों के मुकाबले ज़्यादा रोती हैं और ये ताउम्र जारी रहता है.”
क्या वक्त के साथ रोने पर फ़र्क पड़ा है? क्या अब हम सार्वजनिक रूप से पहले से ज़्यादा रोते हैं?
प्रोफ़ेसर ट्रिंबल कहते हैं, “टीवी के साथ इस पर काफ़ी फ़र्क पड़ा है. ओलंपिक एक अच्छा उदाहरण है. इसमें खिलाड़ी रोते हैं जीतने पर और हारने पर भी. दर्शक भी जीत और हार में रोते हैं और ये सब टीवी में देखता है. इससे सार्वजनिक रूप से रोने को स्वीकार्यता मिलती है.”
फ़्रांस में रूमानी नाटकों के दौर में माना जाता था कि अगर आपके नाटक में दर्शक रोए नहीं तो वो बेकार है.
लेकिन अभिनेता के लिए आंसू निकालना दर्शकों के मुकाबले ज़्यादा मुश्किल है. रॉबर्ट प्रोलाइन कहते हैं, “दिक्कत यही है कि आंसू पैदा नहीं किए जा सकते. आप रोने का भाव तो दर्शा सकते हैं, लेकिन आंसू पैदा नहीं कर सकते.”
रूसी निर्देशक और शिक्षक, स्टैन लास्की कहते हैं, “ऐक्टर को रोने के लिए अपनी किसी दुख भरी याद का सहारा लेना पड़ता है. वो ये सोचकर नहीं रो सकता कि मुझे इस लाइन पर रोना है उसे उस डायलॉग से अपनी भावना को जोड़ना होगा. ऐक्टर जितनी सफ़लता से ये कर पाता है उसके लिए रोना उतना ही आसान होगा.”
वैसे हममें से कुछ लोग तो रोने का आनंद भी लेते हैं. कई लोग पैसे खर्च करके दोबारा ऐसी फ़िल्म देखने सिनेमाहॉल जाते हैं जिसे देखकर वो दिल खोलकर रो सकें.
लेख BBC द्वारा ....

Ravi Chaudhary

Ravi Chaudhary



Ravi Chaudhary  (born june 6, 1993), also known as Ravi ranjan kumar Chaudhary, is an Indian 2d and 3d modeler and animator and doodle artist .
Ravi was born in a Bihari-speaking family, from hajipur  in the  state of Bihar, part of the India . Her father, Sh . Dinesh Chaudhary  was a farmar  and honorable person zela. Her mother Madhu Devi  who is from  hajipur  Bihar .
in 2012 , Ravi started his carrier as a  freelancer and part time calligraphic artist   .
after that  he start his own animations studio Indo The Crazy Animations . with low basic .. ravi was educated at the  Delhi university in stream Ba (H) history and Schooling G.B.S.S School  Tuglaqabad  New Delhi ..   श्री राम 
Ravi Chaudhary


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Sunday, 5 June 2016

ठंडी औरत

न जाने कैसे आज सामान खरीदते हुए इस बदनाम गली के सामने आ पहुचा ,50 साल बाद इस तरफ आया हूँ और आज भी वो यादे मेरे साथ है ,,मै सोच ही रहा था की तभी मेरी नजर उस पर पड़ी, क्या ये वही थी । लोग आ रहे है और जा रहे है कोई उसे रहम की निगाह से देखता है तो कोई दो पैसे फेक देता है । गली के कोने में आज जो बेसुध लेटी है ,कपड़े थोड़े फ़टे हुए है और लगता है जैसे वो हफ़्तों से नही नहाईं । आज गली का कुत्ता भी उसे नही सूंघता और एक वो भी दिन थे जब लोग उसके पैर चूमने के लिए लाखो खर्च कर देते थे ,न जाने कितने घर बिक गए उसकी जवानी पे और न जाने कितने आशिक बने । क्या ये वही सोनिया है जिसकी एक आवाज पर दिल और सास एक दूसरे से बगावत कर बैठती थी । लेकिन आज वो गली के कोने तक कैसे जा पहुँची ।
   आप सोच रहे होंगे की मै रवि किसकी बात कर रहा हूँ कौन है ये सोनिया और आखिर इसका मेरे संग क्या रिश्ता है ।
  बात उन दिनों की है जब मै जवानी की दहलीज पर था। नया खून और तन में आग इस उम्र की निशानिया होती है और यही आग अंदर ही अंदर हर किसी को जलाती है जब तक इसे बुझा न लो , पर ये आग न पानी से बुझती है न ही मंजिल को पाने से ,ये तो वो कुँआ है जो कभी भर ही नही सकता । जिसे हवस कहते है ।
  और मै भी बाकी जवानों की तरह  तन की आग को बुझाने उन गलियो में जा पहुचा जहाँ दिन कुछ और रात कुछ और । ये मेरी पहली भूल थी जिसे मै अपने दोस्तों के साथ करने जा रहा था । हर तरफ रंगीनिया नजर आ रही थी ,लोगो का ताता सा लगा था जैसे कोई मन्दिर आया हो , पर देवी को पूजने नही बल्कि दुसरो की बेटियो के कपड़े उतारने । इस बदनाम गली मे लोग इशारो से काम ले रहे थे , ऊपर से लडकिया आवाजे लगा रही थी और निचे उनके दलाल दाम बता रहे थे जैसे फल या सब्जी बेच रहे हो ।
तभी एक लँगड़ा दलाल हमारे पास आकर गाना गाने लगा ... चुप चुप खड़े हो जरूर कोई बात है ,,, पहली मुलाक़ात है ये पहली मुलाक़ात है ।
पहले तो हम डर गए फिर उस लगड़े ने गाना बदल दिया और बोला ,,,,, टिप टिप बरशा पानी पानी में आग लगी ,,,  क्या साहब क्या सेवा करुँ ,  हम डरे हुए थे इसलिए हमने कहा हमे कुछ नही चाहिए । तभी सलमान मेरा दोस्त बोला कुछ अच्छा है । लंगड़ा दलाल हँसा और फिर बोला तबियत खुश न हुई तो नाम बदल देना । उसने आँखो से इशारा किया और हम उसके पीछे हो लिए , हम एक मकान के सामने आ गए
,वो हमे ऊपर ले आया और तस्वीरें दिखाने लगा , सकल से तो लँगड़ा किसी movie का comedian लगता था , पर इस बदनाम गली में हर चेहरा नकली था । जिसका पता मुझे तब लगा जब अचानक वहा कुछ लोग आ गए जो उनके ही लोग थे उन लोगो ने  बिना हमारी मर्जी के हमारे जेब से सारे पैसे निकाल लिए और  सिर्फ घर जाने का भाड़ा छोड़ दिया , हम कुछ नही कर सकते थे क्योंकि हम ये बात जानते थे की इस बदनाम गली में ये सब होता ही रहता है इसलिए हम सिर्फ 200 रूपये ही ले कर चले थे ।   
जल्द ही हमे हमारे कमरे तक छोड़ दिया गया मेरे सारे दोस्त अपने कमरो में चले गए और अब मेरी बारी थी ,जैसे ही मै अंदर गया अंदर का माहौल काफी चमकदार था कुछ अजीब सी सजावटे और किताबे  जो की चारो ओर बिखरी हुई थी । एक लड़की जो कोने मे बैठी पढ़ रही थी । उसने मुझसे कहा बैठ जाओ साहब अभी आती हू । मै इधर उधर देखने लगा और पास की चारपाई पर बैठ गया । मै कुछ सोच ही रहा था की वो मेरे सामने आ गई और बोली साहब पानी ,,,, ,, । मैने कहा नही thanq ..
  मै काफी घबराया हुआ था और शायद वो भी ।
   मैने कहा मुझे कुछ नही करना बस तुम यहाँ बैठ जाओ और बताओ की तुम क्या करती हो ।
   क्या तुम पढ़ती भी हो ?
कुछ देर रुक कर वो बोली हा थोडा बहुत शौक है कभी स्कूल नही जा सकी पर पढ़ने का शौक हमेशा रहा , ☺☺☺☺☺
तो तुम्हारा नाम क्या है ,,,  पता नही माँ ने क्या नाम रखा था पर सब लोग मुझे सोनिया बुलाते है ।  काफी देर के लिए कमरे मे ख़ामोशी छा गई 
     सोनिया ने मेरा हाथ पकड़ लिया और उसे कस के पकड़ कर मेरी तरफ देखने लगी जैसे डूबते को तिनका मिल गया हो । मै भी सोनिया को देखने लगा ।
     मै मन ही मन सोचने लगा की इतनी कम उम्र में सोनिया जैसी लड़की आखिर किन कारणों से इन गन्दे हालातो मे फस गई । सोनिया जैसी खूबसूरत और हिरणी आँखो वाली लड़की के साथ ये जो कुछ भी हो रहा था ये सब ठीक नही था पर मै चाह कर भी उसे इस दलदल से नही निकाल सकता था ।
और तभी सोनिया एक गीत गुनगुनाने लगी, ऐसा लगा जैसे संगीत की देवी कोई दर्द भरा गीत गुनगुना रही  हो । मेरा हाथ उसके हाथ में था और वो गीत गा रही थी । उसकी सुंदर आँखे ,वो बाल , वो चेहरा ..... किसी का भी दिल पिघला दे ।  जल्द ही हम काफी करीब आ गए उस दिन पहली बार मैने किसी से दिल खोल कर बाते की जैसे जन्मों के दोस्त हो । ये पल मै कभी नही भूल पाया और कुछ देर बाद मैने उसके माथे को चूम लिया और कमरे मे एक सन्नाटा सा छा गया ।  
कुछ देर तक हम एक दूसरे को देखते रहे  तभी दरवाजे पर किसी की आहट हुई , वो मेरा दोस्त सलमान था , उसने कहा ..चल अब यहाँ से अब बहुत देर हो गई । सोनिया ने मेरे हाथो को कस कर पकड़ लिया जैसे वो नही चाहती थी की मै जाऊ और कहि न कहि मै भी यही चाहता था पर मै मजबूर था जाने के लिए ।
सोनिया ने कहा की अब कब आओगे ... मै जानता था की  अब  मै इस बदनाम गली मे कभी नही आउगा पर मैने उससे कह दिया जल्द ही  , और ये कह कर तेजी से मै वहा से निकल गया , मेरी आखो में आंसू थे और दिल में टिस ,की आखिर मैने उससे झूठ क्यों बोला । वो वही छत पर खड़ी मुझे जाते देख रही थी और न जाने क्यों मुझे उसकी भी आँखे नम लगी और मै उस जगह से निकल गया ।

  एक वो दिन था और आज ये दिन है 50 साल बीत गए और आज फिर से सोनिया मेरे आँखो के सामने है , पर आखिर उसे हुआ क्या ,उसकी इतनी बुरी हालत देख मेरा दिल रोने लगा , मै फौरन उसके पास पहुँच गया और उसे आवाज लगाई ,,, सोनिया क्या तुम हो ?
वो धीरे से पीछे मुड़ी और बोली कौन , मैने कहा मै हूँ रवि कुछ याद आया ,
   उसने मुझे  देखा और तभी वो तेजी से खाँसने लगी ,मैने जैसे ही उसे सहारा देने के लिए हाथ लगाया मुझे आभास हुआ की उसे बहुत तेज बुखार है और वो खाँसते -2 बेहोश हो गई ।
   मैने फौरन auto बुलाया  और  वही के एक आदमी जो की फल बेचता था की मदद से उसे auto में डाला और हम अस्पताल की ओर चल दिए । मैने कहा भाई जल्दी ले चलो ,,
     कुछ देर रुक कर auto वाला बोला साहब जी आप काफी नेक बन्दे लगते है इस वेश्या का कोई नही है न जाने कब से गली में ही रह रही थी ।       मैने ऑटो वाले से पूछा की क्या तुम इसे जानते हो तो ऑटो वाला बोला हा साहब मै  पछले 30 सालो से यहा रिक्शा चला रहा हूँ और हर किसी को जानता हूँ । बडा अधर्म हुआ इसके साथ ,,  मैने पूछा क्या हुआ था ।
   Auto वाला बोला साहब  जब तक रस है तब तक भवरे मंडराते रहते है और जिस दिन रस खत्म हो जाता है कोई कुत्ता भी पूछने नही आता । आज कल हर धंधा करने वाली औरतो का यही हाल है । जब तक जवानी रहती है तब तक ग्राहक आते रहते है और जब जवानी ठण्डी  हो जाती है तो इन्ही औरतो को भीख माग कर गुजारा करना पड़ता है । साहब बहुत बुरा हाल होता है इनका , न कोई काम देता है न कहि इज्जत मिलती है ।  लेकिन पेट तो पालना ही है न साहब तो अब भीख मांगनी ही पड़ेगी । न रहने के लिए को घर न ही कोई रिश्तेदार ।  साहब आजकल तो हर बूढी वेश्याओ का यही हाल है , कुछ आत्महत्या कर लेती है। तो कुछ लड़ती रहती है कभी खुद से तो कभी समाज से।  ये सब सुन कर मेरी आँखे नम हो गई ।
(  लो साहब अस्पताल आ गया ।...... )
   मैने अपनी आँखे साफ़ की और सोनिया को अंदर ले गया । डॉक्टरों ने मुझे बताया की उसे केंसर है और अब उसके बचने की कोई उमीद नही है । अब वो जादा से जादा 3 से 4 महीने ही जी पाएगी । ये अब सुन कर मेरे पैरो तले जमीन खिसक गई ।  पर मैने फैसला कर लिया की ये आखरी पल उसके अपने पल है और उसे भी जीने का हक है ।  वो खुशिया जो उसे नही मिल पाई मै उसे दूँगा । अब उसका हर पल हजार जिंदगियां जिएगा ।
  डॉक्टरों ने कहा की अब मै उनसे मिल सकता हूँ ।  मै काफी डरा हुआ था की क्या मै उसे याद होगा । आखिर कार मै उसके सामने आ ही गया ।   सोनिया मुस्कुरा रही थी । उसने मुझसे कहा आखिर तुम आ ही गए ।
  मैने कहा हां आ गया पर थोडी देर हो गई ।
   सोनिया बोली कोई नही ,,,,, आ तो गए ।
हमारी आँखे एक दूसरे को देख रही थी ।
  ऐसा लग रहा था जैसे मै फिर उसी वक्त में आ गया हूँ जब मै सोनिया से पहली बार मिला था ।
और शायद वो भी यही महशुस कर रही थी ।

                                       लेखक   
                                   रवि चौधरी
 
  
 
      
 

Thursday, 2 June 2016

 Why Indian Boys and Girls losing Virginity Fast

   
  ये लेख एक सुरुआत है तथा इसका सम्बन्ध किसी भी जाती से नही है ,अगर इस लेख को पढ़ कर किसी को कोई दुःख या खेद होता है तो लेखक इसके लिए क्षमा चाहता है ..
 भारतीय समाज हमेंशा एक जाती प्रधान एवं सामजिक मान्यताओं के अधीन रहा है।. जहा सेक्स तथा इसकी जागरूकता के प्रति हमेशा एक, लडाई रही हैं। इएक आकलन के अनुसार 2020 तक भारत पुण रूप से sex को स्वीकार कर लेगा और कोमार्य  इतिहास की बाते रह जाएगी । क्या हम अपनी भारतीय लज्जा को  खो चुके है ।. आज का समाज इन सब मान्त्याओ को तोड़ कर आगे बढ़ गया है .. ख़ास कर हमारे युवा वर्ग, जो की सेक्स के प्रति कुछ जादा ही आतुर नजर आते है। वो अब शिक्षा से जादा सेक्स के प्रति पागल रहते है। आज कल लड़का हो या लडकी सेक्स करने के लिए ये आतुर रहने लगे है. जो कई हद तक भारतीय समाज के लिए घातक है .।.
स्कूल शिक्षा या अशिक्षा का केंद्र  
सभी माता पिता चाहते है की उनके बच्चो को एसी शिक्षा मिले की वो समाज एव खुद के लिए कुछ कर सके। परन्तु आज कल सभी शिक्षा केंद्र लव फेयर बन कर रह गया है . । जहा पर सभी वर्ग के छात्र व् छात्राए एक दुसरे को लाइन मारने तथा कामुक रूप से एक दुसरे को  उतेजित करने का कार्य करते नजर आते है . किसी भी स्कूल परिसर के पास आप को एक बड़ी तादाद में लडको या लडकियों का समूह मिल जाएगा .. जिनकी ऊम्र 15 से 16 के बिच की हो सकती है ।..  इस बात से इनकार नही किया जा सकता की अधिकतर  लडकिया या लडके स्कूल काल में ही अपना कोमार्य खो बैठते है .. और भारत जेसे देश में ये एक आम बात होती जा रही है ,, सिर्फ सरकारी ही नही प्राइवेट स्कूल भी  इसका शिकार है.।  
TUITION या study center:
 आज कल tuition and study center का काफी बोल बाला रहता है । एक बड़ा युवा वर्ग इन centers में दाखीला लेता है ,, पर इन दाख्लो के पीछे एक कडवा सच भी है ,, अधिकतर युवा वर्ग ऐसे study points पर दाखिला केवल फन एंड न्यू  friendships के लिए लेते है। जिनमे अमीर वर्ग के वो युवा होते है जो time पास करना चाहते है ।.माता पिता को झूट बोल कर ये युवा  latenight partys करते  है तथा कम ऊम्र में ही गलती कर बैठते है . और फिर पछताते है। धीरे धीरे ये trand मध्यम वर्ग में भी केंसर की तरह फैल रहा है और हम ये सब होते हुए भी देख रहे है  ।  centers में एक दुसरे का number पास करना तथा  एक दुसरे से friendsship करवाना आज कल युवा trand का एक part सा बन गया है। . और ये सिर्फ लडको की  ओर से नही.. लडकिया  भी इसमें बढ चढ़ कर  साथ डे रही है। . study के बाद बाहर मिलना घूमना एक आम बात सी हो चली है ..।
group study के नाम पर आज का युवा न जाने क्या क्या करते है ।.. एसा नही की हर कोई एसा करता है पर अधिकतर मामलो में एसा देखा जाता है की युवा अपने माता को झूट बोल कर अपने साथी के साथ घुमने चला जाता है और कई बार खुद पर काबू नही कर पाते और गलती कर बैठते है ।..  माता पिता को इन बातो का ध्यान रखना चाहिए की उनके बच्चे कहा है और क्या कर रहे है..,।
Car & Bike .
 समाज हमेशा से कामुक और fashionable रहा है और इस कामुकता को आज के संसाधान और लालच ने बढ़ावा दिया। जिसमे कार बाइक और फ़ोन एक खाश जरिया रहा है । आज के युवा वर्ग को बिगाड़ने के लिए .. छोटी ऊम्र में ही अभिवाहक अपने बच्चो को कार या बाइक चलाने के लिए दे दे ते है वो भी बिना सोचे समझे,, वो तो ये भी नही जानते की वो इन का क्या गलत इस्तेमाल कर रहे है । रात भर इधर उधर घूमना और लडकियों को घुमाना आज के युवाओं का time पास है । लडकिया भी इस में पीछे नही है । देखा जाए तो लडकिया उन्ही लडको को पसंद करती है जिनके पास कार या बाइक हो ,, ताकि हो बिना किसी परेशानी की कही भी आ जा सके । भले वो लड़का गुंडा ही क्यों न हो ,, या उन्हें अपनी इज्जत खो नी पड़े । .. fashion के लिए सब कुछ ... ।
वही दूसरी ओर लडके भी अपनी हवश या प्यार मिटाने के लिए लडकियों को खुश करने के लिए वो कुछ भी करने के लिए तैयार रहते है ,, भले बाप से झूट ही बोलना पड़े.. पर बाद मे वो भि इसके बदले लडकियो से मजे लेते है.. और लडकिया भी इसमें उनका साथ देती है
लडकियों का रातो में लेट night partys में जाना और वहा किसी भी लडके से दोस्ती कर लेना और फिर coffe के नाम पर उनके घर जाना. समाज का एक नया आइना पेश करता है। ..और साथ ही एक प्रशन भी उठाता है की क्या ये सब टिक है.।.
आखिर क्या हो गया है ।हमारे समाज को और हमारे युवा वर्ग को आखीर वो इतने थिथिल क्यों हो रहे है। क्या काम पर काबू करना इतना मुस्किल हो रहा है की भारतीय समाज को अब ये छुपाने इतना मुस्किल हो रही है की वो अब सदियों से चली आ रही सच्ची भारतीय परम्परा का अंत चाहते है.. और पुन रूप से अमेरिकी हो चले है ।,,
Mobile... Andriod is coming …
  आज लडकियों और लडको का सबसे बड़ा दुश्मन मोबाइल ही है क्युकी एक बड़ा युवा वर्ग इस बीमारी की चपेट में है । ये जीवन को सरल तो बनाता है पर इसकी एक बड़ी कीमत चुकानी पडती है हमारे युवा वर्ग को खाश कर लडकियों को .।. सोशल sites पर अपनी कामुक तस्वीरे डालना और गंदे comment पास करना एक हॉबी बन गई है जो सभी मजे लेकर करते है .।.
watsup , fb ,पर तो आज की नारियो ने तो कोहराम ही मचा रखा है। एक से एक hot तस्वीरे डाल कर वो आज के युवा वर्ग को sexualiy अपनी ओर खीचने की कोशिस करती है जिससे boys का दिमाग हमेशा इन्ही ओर रहता है .. और कई अनेतिक हादशे हो जाते है.।.
फ़ोन पर porn या गंदे massages forward करना एक trand बन गया है ,, जिससे आज का हर वर्ग बिगड़ रहा है और लडकिया भी इनमे पीछे नही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक़ जादातर mms बनाने में लडकिया help करती पाई गई है ,,।
fun के नाम पर या as a friend boys girls को touch करने से बाज नही आते . वही 95% girls को इसमें कोई एतराज़ नही होता ,, बल्कि कभी कभी girls भी have fun के नाम पर आग में घी डालने का काम करती है ,,
अपनी nude pic send करना भी आज के trand का एक part बन गया है जिसका हर्जाना सिर्फ लडकिया ही भुगतती है और लडके उस pic को स्प्रेड कर मजे लेते है ।,, पर वो pic लडकी ने send ही क्यों की ...इसमें जितना दोस लडकी का था उतना ही लडके का भी ,,,आप क्या सोचते है ?
Family out Boyfriend In
ये सम्माज का नया trand है।  युवा माँ पाप के बाहर जाते ही अपनी gf या bf को अपने घर ले आता है और फिर समाज के सारी हदो को एक ही  बार तोड़ देता है,, बिना किसी लोक लाज के एसा करना आज के fashionable youth का part time जॉब है .. जो वो कभी भी कर लेते है ,, बस सही time मिल जाए ,,,,, Family out Boyfriend In
आज कल कोई भी प्लेस नही देखता वो car हो या होटल ,,,, भारतीय समाज आज एक दोहराहे पर आ चुकी है जहा से अब वो वापस नही जा सकती ,, western cuclture ने आज के युवाओ को पूरी तरह काबू में कर लिया है जिससे बचना अब मुस्किल है पर अभी भी आश है की कुछ हो सकता है  ।
   आखरी ख़ुशी (एक साया)