कहते है की पहली नजर ही काफी होती है दिलो के मिलने के लिए ,पर कभी हिरणी भी शेर की हुई है।
लिफ्ट काफी छोटी थी पर उससे जादा मेरा दिल घबराय हुआ था । मेरे पास एक चाभी थी जो मुझे लौटानी थी पर न उस चाभी से मेरा रिश्ता था न ही उस घर से जहां में जा रहा था। फिर भी कुछ ऐसा था जो मुझे उस ओर खीच रहा था ।
आखिर कार लिफ्ट 3rd फ्लोर पर आ कर रुक गई । और मेरे दिलो की धड़कन तेज हो गई । दरवाजा सामने था । और मेरे कदम थे की उठने का नाम नही ले रहे थे । मुझे डर लग रहा था की पता नही कोण होगा उस पार , उस दरवाजे के पीछे ।
मैने हिम्मत कर के आखिर कार घर की रिंग बजा दी । कुछ देर लगी पर आखिर कार दरबाजा खुल ही गया ।
एक ठण्डी हवा का झोके ने मेरी आँखे बन्द सी कर दी पर जब वो खुली तो लगा जैसे मै कोई सपना देख रहा हु । उसने अपनी आखो में काजल लगा रखा था ,रेशमी बालो को ऊपर कर उसने मेरा ध्यान खीचा। और उसके कपड़ो से आ रही उसकी खुसबू ने एक अजीब सा रूहानी माहौल बना दिया ।
जाली दार दरवाजे के पीछे से उसका छुपा हुआ चहेरा दिल की खिचड़ी बना रहा था। और फिर वो हुआ जो मै सुनना चाहता था ,उसकी मीठी सी आवाज । उसने मुझसे पूछा आप कौन ।। पहले तो मेरी घिगी सी बन गई पर जल्द ही मुझे एहसास हुआ की वो मुझे ही देख रही है । मै काफी डर गया था और तेजी से चाभी का गुच्छा उसके हाथो में रख कर मै भाग निकला । पता नही क्यों पर मै उसका सामना नही कर पाया ।
उसकी नजर मेरे आखो से हट ही नही रही थी । रात को भी बस वो ही वो नजर आ रही थी । जब सुबह दिल नही माना तो ,मैने एक ख़ास फैसला लिया की मै कल फिर उस मकान पर जाउगा ।
मिलने की आश
जब आपके पास कोई कारण न हो तो किसी के घर जाना भी किसी जंग से कम नही ,ख़ास कर जब आप किसी लड़की के चक्कर में जा रहे हो । पर जैसे मेरे पैरो में तो पंख लग गए हो और अब रुकना मुश्किल था । घर की रिंग बजाते थोड़ी शर्म आई पर काम बन ही गया । वो दरवाजे पर थी और मुझे ऐसे देख रही थी जैसे मै कोई भूत हु। मै कुछ कहता उससे पहले वो बोल बड़ी, तुम कल आए थे न । मैने अपना सर हां में भर दिया । तो अब क्या चाहिए । उसके सामने मेरे तो होठ ही जाम हो रहे थे । क्या चाहिए बोलो गे भी ।
मेने कहा कुछ भी नही और मै जाने लगा । मै लिफ्ट के पास गया ही था की पीछे से एक आवाज आई , सुनो एक काम है तुम मदद कर सकते हो । ये सुन कर जैसे डूबते को तिनके का सहारा मिल गया हो । और मेने अपना सर हाँ में हिला दिया ।
कुछ पल
काम कुछ खाश नही था ,बस कुछ किताबे इधर से उधर करनी थी सो मैने कर दी । मेरा ध्यान काम में कम और उसे देखने में जादा था । जब तक काम खत्म हुआ तब तक वो कॉफी बना कर ले आई । बालकनी की ठंडी हवा में उसके लट कभी उसकी आखो पर तो कभी उसके होठो को छु रहे थे । ये सब देख कर ही मेरा पेट भर गया । काफी देर तक तो खामोशी छाई रही । फिर मै ही बोल बैठा , आप यहां कब से है । mom dad , etc.......
उसने कहा : काफी साल गुजर गए यहां रहते हुए अब तो दिन भी याद नही ,मुझे याद है जब माँ मुझे इस घर में ले कर आई थी हम बहुत खुश थे पर माँ अब नही रही । पाप भी चले गए । अब बस में रह गई हु।
ये सब सुनने के बाद काफी देर तक कमरे में खामोशी छाई रही । मै तो बस उसकी आखो को ही देख रहा था। इतनी छोटी सी उम्र में वो कितनी अकेली और तन्हा थी । हम एक दूसरे को जानने की कोशिश करने लगे हर एक पल वो अपनी जिंदगी की किताब के पन्ने खोलती रही और मै सुनता रहा और कब कप से कॉफी कब खत्म हुई पता भी नही चला । कई हफ्ते निकल गए। लगता था जैसे मुझे उससे प्यार हो रहा था पर उसके दिल में क्या था मै नही जानता था। वो तो एक राज़ था।
क्या सब झूठ था
अगले दिन मै सुबह -2 तैयार होकर निकल पड़ा। आज तो मै अपने दिल की बात कर के रहुगा । सामने मंजिल थी और मै जोश में था । और जल्दबाजी में मैने 3 की जगह 4 नंबर दबा दिया ,लिफ्ट 4th फ्लोर पर रुक गई और मैने बिना देखे 4th फ्लोर का bell ring बजा दिया । मेरे फेस पर एक चमक थी वो उस वक्त निकल गई जब एक बूढ़े नकल ने दरवाजा खोला । बेटा क्या चाहिए , मैने कहा सर आप कौन है । उन अंकल से बात करने पर पता चला की मे गलती से 4th फ्लोर पर आ गया हूँ। पर वो जादा हैरान तब नजर आए जब मैने कहा की मुझे 3rd फ्लोर पर जाना है । मुझे उनकी आखो में एक डर नजर आया वो काफी घबराए से दिखे ।
Sir आप 3rd फ्लोर का नाम सुन कर इतने घबरा क्यों रहे हो क्या बात है। क्या आप मुझसे कुछ छुपा रहे है ।
सच का दर्द
अंकल ने मुझे सारी कहानी बताना शुरू किया। और उन्होंने जो कहा उससे मेरा दिल टूट गया।
वो फ्लोर पिछले 10 सालो से खाली था न वहाँ कोई आता था न कोई जाता । और जिस लड़की की मै बात कर रहा था वो 11 साल पहले ही मर चुकी थी । उसके माता पिता का accident हो जाने के बाद वो एक दम अकेली रह गई थी ,न खाती थी न पिती थी बस खोई खोई रहती थी । और एक दिन ऐसा भी आया जब वो मरी हुई पायी गई। और पिछले 10 सालो से उस 3rd फ्लोर से रोने की आवाजे आती रहती है ।
मुझे कुछ समझ नही आ रहा था । लगता था की वो आज भी अपने माँ बाबा का इन्तजार कर रही हो।
तुम्हारी याद आएगी
मै उससे मिलना चाहता था इसलिए में फिर उस 3rd फ्लोर पर गया और bell बजाई ।
उसने दरवाजा खोला । और में अंदर आ गया ।
मै उस की ओर देख रहा था और वो मेरी ओर । मै जानता हु तुम मर चुकी हो । उसने मेरी ओर देखा और मेरे पास आई और मेरे गले लग कर कहा ... thankq । आज बहुत दिनों बाद मुझे बहुत अच्छा लग रहा है ।
और मेरा बाहर जाने का दिल कर रहा है ।
मैने बिना कुछ कहे उसे बाहर ले आया। हम दोनों एक पेड़ के निचे बैठ गए । उसका सर मेरे कन्धे पर था। मै उससे बहुत कुछ कहना चाहता था पर कह नही पा रहा था । उसने कहा रवि मुझे नींद आ रही है ।
सो जाओ ...... तुम्हारे माँ बाबा तुम्हे बुला रहे है ।
वो चली गई
अब उस फ्लोर से रोने की आवाजे नही आती ।
मै बस आसा करता हु की वो जहाँ भी हो टिक हो ।
Tuesday, 23 June 2015
आखरी ख़ुशी (एक साया)
Labels:
shadow of landlady
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment