एक वक्त था जब इंशान अपने आप की जगह दुसरो की परवाह करता था। पर इस कलयुग में जहाँ माँ और बाप के लिए कोई स्थान नही रहा वहा एक किरायदार की क्या हैसियत । वो तो बस एक बिखारि है जिसे कोई भी हाक देता है ।
Delhi सन् 2000
शहरों का विकास एक आम क्रिया है । जो निरन्तर चलती रहती है । और एक नई उमीद की तलाश में हर रोज़ एक बड़ी तादाद में लोग गाँव से शहर की ओर आते है। और ढुढते है एक आसियान ।
delhi जब विकाश की ओर कदम बढ़ा रही थी तो दूसरी ओर इसमें विष भी धुल रहा था । लोगो का लालच दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा था । और यहां पहले से बसे लोग इस लालच की नीव रखने में एक मुख्य योगदान दे रहे थे ।
एक उमीद की तलाश में आए लोग जब इस दिल वालो के शहर में आए तो उनका स्वागत उन्होंने दिल खोल कर किया और फिर उनका खून भी उतनी ही तेजी से पीना शुरू कर दिया ।
एक किराये दार की जिंदगी का विवरण करना काफी कठिन है पर उस से भी जादा उसके दुखो का आकलन करना । सन् 2000 में एक किरायदार का कमरा किराया महज 200 रु से 500 रु हुआ करता था ।
Delhi सन् 2000
शहरों का विकास एक आम क्रिया है । जो निरन्तर चलती रहती है । और एक नई उमीद की तलाश में हर रोज़ एक बड़ी तादाद में लोग गाँव से शहर की ओर आते है। और ढुढते है एक आसियान ।
delhi जब विकाश की ओर कदम बढ़ा रही थी तो दूसरी ओर इसमें विष भी धुल रहा था । लोगो का लालच दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा था । और यहां पहले से बसे लोग इस लालच की नीव रखने में एक मुख्य योगदान दे रहे थे ।
एक उमीद की तलाश में आए लोग जब इस दिल वालो के शहर में आए तो उनका स्वागत उन्होंने दिल खोल कर किया और फिर उनका खून भी उतनी ही तेजी से पीना शुरू कर दिया ।
एक किराये दार की जिंदगी का विवरण करना काफी कठिन है पर उस से भी जादा उसके दुखो का आकलन करना । सन् 2000 में एक किरायदार का कमरा किराया महज 200 रु से 500 रु हुआ करता था ।
किराये में बढ़ोतरी
साउथ डेल्ही के मकानों का किराया 2003 में 300 से 500 रूपये हुआ करता था और एक आम आदनी की तनख्वा महज 1000 से 3000 हुआ करती थी ... तो गुजारा चल ही जाया करता था ।.. पर महगाई बढी और और मकान मालिको का अत्याचार भी .... सन 2008 तक आते आते मकानों का किराया 2000 से 4000 तक चला गया और
सन 2012 आते आते मकान मालिको की नाक और लम्बी होती चली गई ,,,,, में आप को बता दू की इन सालो में एक आम आदमी की तनख्वा महज 4000 से 5000 तक ही सिमित रही ..अब आप अंदाजा लगा सकते है की एक किरायदार होना कितना मुश्किल रहा होगा ।...और है ।
सन 2012 आते आते मकान मालिको की नाक और लम्बी होती चली गई ,,,,, में आप को बता दू की इन सालो में एक आम आदमी की तनख्वा महज 4000 से 5000 तक ही सिमित रही ..अब आप अंदाजा लगा सकते है की एक किरायदार होना कितना मुश्किल रहा होगा ।...और है ।
...... सन 2013 से 2014 तक आते आते मकान किराय 7000 से 11000 हो गया । साथ ही साथ अब सभी मकान मालिक जबरन तरीके से 8 से 10 रूपये यूनिट बिजली बिल और 300 से 600 रूपये पानी का बिल भी लेने लगे है। .. और यह पूरी डेल्ही में हो रहा है साथ ही साथ यह भ्रष्टाचार अब पुरे देश में पेर जम्मा चुका है । ...
में आप को बता दु की आज भी हमारे आम आदमी की तनख्वा 6000 है जबकि वो जिस संस्थान में कार्यरत है। वहाँ पर वो कई सालो से काम कर रहा है पर आज भी तनख्वा उतनी की उतनी ही है।... आज भी ओखला industries में असंख्य मजदूर मालिको की गुलामी करने को मजबूर है क्यु की उनका हक जिन सरकारी संगठनो द्वारा दिलवाया जाना चहिए था। वो नही मिला। दूसरी तरफ मकान मालिको का किराया बढ़ाए जान आफत बनती जा रही है। ....अब उन्हे कोन समझाये की हमे भी महगाई मार रही है ।.उनसे भी कही जादा । ...
में आप को बता दु की आज भी हमारे आम आदमी की तनख्वा 6000 है जबकि वो जिस संस्थान में कार्यरत है। वहाँ पर वो कई सालो से काम कर रहा है पर आज भी तनख्वा उतनी की उतनी ही है।... आज भी ओखला industries में असंख्य मजदूर मालिको की गुलामी करने को मजबूर है क्यु की उनका हक जिन सरकारी संगठनो द्वारा दिलवाया जाना चहिए था। वो नही मिला। दूसरी तरफ मकान मालिको का किराया बढ़ाए जान आफत बनती जा रही है। ....अब उन्हे कोन समझाये की हमे भी महगाई मार रही है ।.उनसे भी कही जादा । ...
तो हम क्या करें ।
या तो आप मजदूरों की तनख्वा बढवाए । .. या फिर एक वाजिद किराया policy लांच करे साथ ही किरायदारो के लिए सही बजली और पानी दर भी फिक्स करवाए। ... जो की
पानी = 100 या 200 रूपये महिना
बिजली बिल = 3 या 4 रूपये यूनिट तक हो ।
जहा सरकारी रेट पर बिजली बिल और पानी बिल की सहूलियत दी जाती है वहा transparency लाइ जाए क्यों की वहा भी मकान मालिक धांदली करने से बाज नही आते और खून चुस्ते है । वो सही टाइम पर किराये डारो को बिल नही देते और बिजली bills में हेरा फेरी करते है ।
मनमाने तरीके से काम करना और जब मर्जी आए किराये दारो को परेसान करना एक आम बात हो गई है जब मर्जी आए किराया बढ़ा दिया और किराये की मांग न पूरी करने पर कमरा खाली करने की धमकी देना एक आम बात है। और कब तक ये चलेगा । आखिर कब तक ।
अब बस ,अगर हम लोग आवाज नही उठायेगे तो ये सब यु ही चलता रहेगा अब आप को ही कुछ करना होगा । आवाज उठाए ।। आज ही indotimes24 facebook page पर आए और अपनी कहानी बताए ।। आवाज उठाए इन लोगो के किलाफ ।
अब और नही।
पानी = 100 या 200 रूपये महिना
बिजली बिल = 3 या 4 रूपये यूनिट तक हो ।
जहा सरकारी रेट पर बिजली बिल और पानी बिल की सहूलियत दी जाती है वहा transparency लाइ जाए क्यों की वहा भी मकान मालिक धांदली करने से बाज नही आते और खून चुस्ते है । वो सही टाइम पर किराये डारो को बिल नही देते और बिजली bills में हेरा फेरी करते है ।
मनमाने तरीके से काम करना और जब मर्जी आए किराये दारो को परेसान करना एक आम बात हो गई है जब मर्जी आए किराया बढ़ा दिया और किराये की मांग न पूरी करने पर कमरा खाली करने की धमकी देना एक आम बात है। और कब तक ये चलेगा । आखिर कब तक ।
अब बस ,अगर हम लोग आवाज नही उठायेगे तो ये सब यु ही चलता रहेगा अब आप को ही कुछ करना होगा । आवाज उठाए ।। आज ही indotimes24 facebook page पर आए और अपनी कहानी बताए ।। आवाज उठाए इन लोगो के किलाफ ।
अब और नही।
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