लाजपत नगर मेट्रों स्टेशन का भुत ।
मै रवि, उन दिनों लाजपत नगर में काम करता था । collage का खर्चा और दूसरी जरुरतो के लिए में दिन में पढ़ाई और रात को काम किया करता था । मै एक maggie का प्रमोटर था और रात को 11 बजे तक काम करता था । पर उस दिन मुझे देर हो गई और सब काम खत्म करते -2 ..... 12 बजे से ज्यादा time हो गया .. जब मै office से बाहर निकला तो आस पास कोई नही था ।सारी दुकाने बन्द थी और लोग गायब थे । कुतो के अलावा कोई भी नजर नही आ रहा रहा था। मुझे डर लग रहा था और घर जाने की जल्दी भी थी पर इस वक्त न मेट्रो खुली थी न कोई और गाडी । उस दिन दूर दूर तक कोई नजर नही आ रहा था । मै किसी तरह जल्दी 2 चल रहा था और डरा हुआ था पता नही कौन आ जाए और कुछ अनहोनी हो जाए पर जल्द ही मै मेट्रो लाजपत नगर के पुल के पास पहुच गया । कुछ गाड़िया आ जा रही थी पर रास्ते पर कोई भी इन्शान नजर नही आ रहा था । मै तो बस ये सोच रहा था की आज bus मिलेगी या नही या घर पैदल जाना होगा । यही सोचते-2 मै जा रहा था की पीछे से मुझे एक आवाज आई ।
सुनो रुको ..... मै बुरी तरह डर गया और मेरे पाव वही जम से गए । न जाने कौन थी और मुझे क्यों आवाज लगा रही थी । जी हाँ वो एक लड़की की आवाज थी ।
सब कहते है की रात के वक्त कोई पीछे से आवाज दे तो कभी मुड़ के नही देखना चाहिए ।
पर मैने जल्दबाजी में पीछे मुड कर देख लिया । अब बहुत देर हो चुकी थी मैने गलती कर दी थी और अगर वो भूत था तो मेरी खेर नही थी ।
पीछे मुड़ते ही पहली दफा मेरी नजरें उसकी नजरो से टकरा गई । मैने आज तक इतनी खूब सूरत लड़की पहले कभी नही देखि थी। उसके होठ उसकी गर्दन उसके बाल । वो किसी परी से कम नही थी ।
मै उसे देखता ही रह गया और पता भी नही चला की वो कब मेरे पास आकर खड़ी हो गई ।
उसने पूछा क्या देख रहे हो । ये सुनते ही मै एक समय के लिए घबरा गया और हड़बड़ी में बोला कुछ नही । उसने कहा की मै किसी का इन्तजार कर रही हु और क्या तुम्हारे पास लाइटर है मुझे अपनी सिगरेट जलानी है । पहले तो मुझे कुछ अजीब सा लगा पर मैने अपना बैग खोला और उसमे से माचिस दे दी । ( आप को बता दू मै सिगरेट नही पीता ये माचिस सिर्फ जरूरत के वक्त के लिए मै हमेशा अपने पास रखता हु। ) मैने उसकी तरफ देखा और उसने अपनी सिगरेट जला ली और एक लम्बी कस ली और मुझे देखने लगी।
मै मन ही मन सोच रहा था की इतनी खूबसूरत लड़की आखिर इतनी रात को यहाँ क्या कर रही है । इतने में मैने उससे पूछा की क्या तुम यहाँ किसी का इन्तजार कर रही हो । और अगर तुम्हे डर लग रहा हो तो मै यहाँ तुम्हारे साथ रुक सकता हु अगर तुम चाहो ।
उसने मेरी तरफ बिल्ली नजरो से देखा और कहा ठीक है । मै वही पास में बैठ गया एक तरफ मुझे घर जाने की जल्दी थी और वही दूसरी ओर इतनी मासूम लड़की को मै कैसे अकेले छोड़ देता ।
मैने उससे पुछा कौन आने वाला है तुम्हे लेने ।
कुछ देर रुक कर उसने कहा पापा आ रहे है ।
एक लम्बी खामोशी के बाद मै और वो एक दूसरे को देखने लगे ।
उसने पूछा तुम क्या करते हो । मैने अपनी सारी राम कहानी उसे बता दी । जिससे फिर कुछ देर की खामोशी छा गई । जब मैने उससे पूछा की तुम क्या करती हो। तो उसने मेरी तरफ देखा और कहा की मै कुछ नही करती । ये सुन कर मुझे लगा की जरूर झूठ बोल रही होगी ।
मैने कहा की तुम पढ़ती नही तो वो हँसने ली और कहा की कभी पड़ती थी पर अब नही पढती ।
उसे हँसते देख मुझे भी हँसी आ गई । और फिर हम दोनों बिना वजह smile करने लगे । हमारी बाते युही चलती रही और वक्त निकलता रहा कब हम दोनों दोस्त बन गए पता नही चला ।। मुझे तो यही लगा ।
जल्द ही सुबह होने वाली थी और उसके पापा का कोई ठिकाना नही था । मैने उससे पूछा .... तुम्हारे पाप तो अभी तक नही आए । इन्तजार करते करते सुबह हो गई ।
वो मुझे बस देखती रही और कुछ नही कहा । तभी मेरी नजर आसमान पर गई । और मेने देखा की सूरज निकल रहा था । आज का सूरज बहुत ही चमकीला था । मैने पीछे मुड़ते हुए कहा देखो सूरज कितना खूबसूरत लग रहा है ।
पीछे मुड़ते ही मै जैसे सब कुछ हार चूका था । वो गायब हो गई थी । वहाँ कोई लड़की नही थी । और आस पास बस खामोशी बिखरी थी । मेरे पैरो तले जैसे जमीन खिसक गई हो । जिस लड़की के साथ मैने पूरी रात एक मेट्रो के पुल के निचे गुजारी वो बिना मुझे कुछ कहे कहा चली गई । मैने जितना हो सके उसे आस पास ढूढ़ा पर उसका कोई निशान नही मिला । मै हार चूका था ।
जल्द ही लोगो का आना जाना शुरू हो गया । और अब मै भी घर की ओर चल दिया ।
सुनो रुको ..... मै बुरी तरह डर गया और मेरे पाव वही जम से गए । न जाने कौन थी और मुझे क्यों आवाज लगा रही थी । जी हाँ वो एक लड़की की आवाज थी ।
सब कहते है की रात के वक्त कोई पीछे से आवाज दे तो कभी मुड़ के नही देखना चाहिए ।
पर मैने जल्दबाजी में पीछे मुड कर देख लिया । अब बहुत देर हो चुकी थी मैने गलती कर दी थी और अगर वो भूत था तो मेरी खेर नही थी ।
पीछे मुड़ते ही पहली दफा मेरी नजरें उसकी नजरो से टकरा गई । मैने आज तक इतनी खूब सूरत लड़की पहले कभी नही देखि थी। उसके होठ उसकी गर्दन उसके बाल । वो किसी परी से कम नही थी ।
मै उसे देखता ही रह गया और पता भी नही चला की वो कब मेरे पास आकर खड़ी हो गई ।
उसने पूछा क्या देख रहे हो । ये सुनते ही मै एक समय के लिए घबरा गया और हड़बड़ी में बोला कुछ नही । उसने कहा की मै किसी का इन्तजार कर रही हु और क्या तुम्हारे पास लाइटर है मुझे अपनी सिगरेट जलानी है । पहले तो मुझे कुछ अजीब सा लगा पर मैने अपना बैग खोला और उसमे से माचिस दे दी । ( आप को बता दू मै सिगरेट नही पीता ये माचिस सिर्फ जरूरत के वक्त के लिए मै हमेशा अपने पास रखता हु। ) मैने उसकी तरफ देखा और उसने अपनी सिगरेट जला ली और एक लम्बी कस ली और मुझे देखने लगी।
मै मन ही मन सोच रहा था की इतनी खूबसूरत लड़की आखिर इतनी रात को यहाँ क्या कर रही है । इतने में मैने उससे पूछा की क्या तुम यहाँ किसी का इन्तजार कर रही हो । और अगर तुम्हे डर लग रहा हो तो मै यहाँ तुम्हारे साथ रुक सकता हु अगर तुम चाहो ।
उसने मेरी तरफ बिल्ली नजरो से देखा और कहा ठीक है । मै वही पास में बैठ गया एक तरफ मुझे घर जाने की जल्दी थी और वही दूसरी ओर इतनी मासूम लड़की को मै कैसे अकेले छोड़ देता ।
मैने उससे पुछा कौन आने वाला है तुम्हे लेने ।
कुछ देर रुक कर उसने कहा पापा आ रहे है ।
एक लम्बी खामोशी के बाद मै और वो एक दूसरे को देखने लगे ।
उसने पूछा तुम क्या करते हो । मैने अपनी सारी राम कहानी उसे बता दी । जिससे फिर कुछ देर की खामोशी छा गई । जब मैने उससे पूछा की तुम क्या करती हो। तो उसने मेरी तरफ देखा और कहा की मै कुछ नही करती । ये सुन कर मुझे लगा की जरूर झूठ बोल रही होगी ।
मैने कहा की तुम पढ़ती नही तो वो हँसने ली और कहा की कभी पड़ती थी पर अब नही पढती ।
उसे हँसते देख मुझे भी हँसी आ गई । और फिर हम दोनों बिना वजह smile करने लगे । हमारी बाते युही चलती रही और वक्त निकलता रहा कब हम दोनों दोस्त बन गए पता नही चला ।। मुझे तो यही लगा ।
जल्द ही सुबह होने वाली थी और उसके पापा का कोई ठिकाना नही था । मैने उससे पूछा .... तुम्हारे पाप तो अभी तक नही आए । इन्तजार करते करते सुबह हो गई ।
वो मुझे बस देखती रही और कुछ नही कहा । तभी मेरी नजर आसमान पर गई । और मेने देखा की सूरज निकल रहा था । आज का सूरज बहुत ही चमकीला था । मैने पीछे मुड़ते हुए कहा देखो सूरज कितना खूबसूरत लग रहा है ।
पीछे मुड़ते ही मै जैसे सब कुछ हार चूका था । वो गायब हो गई थी । वहाँ कोई लड़की नही थी । और आस पास बस खामोशी बिखरी थी । मेरे पैरो तले जैसे जमीन खिसक गई हो । जिस लड़की के साथ मैने पूरी रात एक मेट्रो के पुल के निचे गुजारी वो बिना मुझे कुछ कहे कहा चली गई । मैने जितना हो सके उसे आस पास ढूढ़ा पर उसका कोई निशान नही मिला । मै हार चूका था ।
जल्द ही लोगो का आना जाना शुरू हो गया । और अब मै भी घर की ओर चल दिया ।
अगले दिन मै जान बुझ कर office से देर से निकला । इस उमीद में की क्या पता वो नजर आ जाए पर ऐसा नही हुआ ।
कुछ दिन तक मै ऐसा ही करता रहा पर वो मुझे नही मिली । 2 महीने बाद वो job मैने छोड़ दिया । और फिर से collage की पढ़ाई में लग गया ।
पर वो लड़की हमेशा के लिए मेरे दिल में रह गई ।
कुछ दिन तक मै ऐसा ही करता रहा पर वो मुझे नही मिली । 2 महीने बाद वो job मैने छोड़ दिया । और फिर से collage की पढ़ाई में लग गया ।
पर वो लड़की हमेशा के लिए मेरे दिल में रह गई ।
आखरी ख़ुशी (एक साया) | |||
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