आम तौर पर यह माना जाता है कि इमली के पेड मे भूत होते है और विशेषकर रात के समय इसके पास नही जाना चाहिये। पर इस बात में कितनी सच्चाई है। और कौन से भूत उसके अंदर रहते है।
सच क्या है
प्राचीन ग्रंथो मे एक कथा का जिक्र है। दक्षिण के एक वैद्य अपने शिष्य को बनारस भेजते है। वे बनारस के वैद्य की परीक्षा लेना चाहते है। पहले के लोग पैदल यात्रा करते थे और महिनो लम्बी यात्रा होती थी। दक्षिण के वैद्य ने शिष्य से कहा कि दिन मे जो खाना या करना है, करना पर रात को इमली के पेड के नीचे सोते हुये जाना। हर रात इमली के नीचे सोना- वह तैयार हो गया। कई महिनो बाद जब वह बनारस पहुँचा तो उसके सारे शरीर मे नाना प्रकार के रोग हो गये। चेहरे की काँति चली गयी और वह बीमार हो गया। बनारस के वैद्य समझ गये कि उनकी परीक्षा ली जा रही है। उन्होने उसे जब वापस दक्षिण भेजा तो कहा कि दिन मे जो खाना या करना है, करना पर हर रात नीम के पेड के नीचे सोना। और जैसा आप सोच रहे है वैसा ही हुआ। दक्षिण पहुँचते तक शिष्य फिर से ठीक हो गया।
आप प्राचीन और आधुनिक चिकित्सा साहित्य पढेंगे तो आपको इमली की छाँव के दोषो के बारे मे जानकारी मिलेगी। आयुर्वेद मे तो यह कहा गया है कि इसकी छाँव शरीर मे जकडन पैदा करती है और उसे सुस्त कर देती है। प्रसूता को तो इससे दूर ही रहना चाहिये। यह भी लिखा है कि उष्णकाल मे इसके हानिकारक प्रभाव कुछ कम हो जाते है। भरतीय प्राचीन किताबो में इन सब बातो का जिक्र मिलता है ।
इमली ही नही बल्कि बहुत से वृक्षो की छाँव को हानिकारक माना जाता है। छत्तीसगढ की ही बात करे। यहाँ पडरी नामक वृक्ष मिलता है जिसकी छाँव के विषय मे कहा जाता है कि यह जोडो मे दर्द पैदा कर देता है।
तो भूत है या नही
भूत का अस्तित्व है या नही इस पर कुछ भी कहना मुश्किल है । भूत शब्द सुनते ही हम डर जाते है और उन स्थानो से परहेज करते है जहाँ इनकी उपस्थिति बतायी जाती है। यदि इमली मे भूत के विश्वास को यदि इस दृष्टिकोण से देखे कि हमारे जानकार पूर्वजो ने इमली के दोषो की बात को जानते हुये उससे भूत को जोड दिया हो ताकि आम जन उससे दूर रहे तो ऐसे विश्वास से भला समाज को क्या नुकसान?
अब आप के ऊपर है की भुत है या नही ।
भारतमेँ करोडों लोग एसा गलत विश्वास रखते हैँ, की पेड पौघों पर भूत पिशाच जिन्नात चूडैल रहते हैँ । ईसलिए बहोत से लोग ऊनके घर के आसपास पेड नहीं रखते ।
ReplyDeleteसच तो ये है की ज्यादातर भुत जीन्न चुडैल ये सब मंदिरों मस्जिदोँ दरगाहों कब्रिस्तान श्मशान चर्च ईत्यादी स्थान पर होते हैँ । लेकिन लोग वहीं जाते रहते है ।
ReplyDeleteदुनिया के 90% लोग जानवरों को खाने के लिए या काम करवाने के लिये ही ईस्तेमाल करते हैँ, जूल्म ही करते हैँ ।
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